नमामि गंगा तथा विश्वबैंक
नमामि गंगा
यह समझते हुए कि गंगा संरक्षण की चुनौती बहु-क्षेत्रीय और बहु-आयामी है और इसमें कई हितधारकों की भी भूमिका है, विभिन्न मंत्रालयों के बीच एवं केंद्र-राज्य के बीच समन्वय को बेहतर करने एवं कार्य योजना की तैयारी में सभी की भागीदारी बढ़ाने के साथ केंद्र एवं राज्य स्तर पर निगरानी तंत्र को बेहतर करने के प्रयास किये गए हैं।
कार्यक्रम के कार्यान्वयन को शुरूआती स्तर की गतिविधियों (तत्काल प्रभाव दिखने के लिए), मध्यम अवधि की गतिविधियों (समय सीमा के 5 साल के भीतर लागू किया जाना है), और लंबी अवधि की गतिविधियों (10 साल के भीतर लागू किया जाना है) में बाँटा गया है।
इस परियोजना में जैव विविधता संरक्षण, वनीकरण (वन लगाना), और पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। महत्वपूर्ण प्रतिष्ठित प्रजातियों, जैसे – गोल्डन महासीर, डॉल्फिन, घड़ियाल, कछुए, ऊदबिलाव आदि के संरक्षण के लिए कार्यक्रम पहले से ही शुरू किये जा चुके हैं। इसी तरह ‘नमामि गंगे’ के तहत जलवाही स्तर की वृद्धि, कटाव कम करने और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिति में सुधार करने के लिए 30,000 हेक्टेयर भूमि पर वन लगाये जाएंगे। वनीकरण कार्यक्रम 2016 में शुरू किया जाएगा। व्यापक स्तर पर पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए 113 रियल टाइम जल गुणवत्ता निगरानी केंद्र स्थापित किये जाएंगे।
स्रोत नवभारत टाइम्स, pmindia.gov.in
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