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वर्ष 2100 तक भारत सर्वाधिक जनसंख्या और प्रवास वाला देश बन जाएगा

वर्ष 2100 तक भारत सर्वाधिक जनसंख्या और प्रवास वाला देश बन जाएगा

वर्ष 2100 तक भारत सर्वाधिक जनसंख्या और प्रवास वाला देश बन जाएगा

लांसेट जर्नल के अध्ययन के अनुसार 2100 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होगा और चीन तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगा। भारत और चीन की आबादी 2050 से पहले अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगी। इसके बाद 2100 तक चीन की आबादी में 51.1 प्रतिशत और भारत की आबादी में 68.1 प्रतिशत की गिरावट आएगी।  
भारत की कुल प्रजनन दर 2018 में पहले ही प्रतिस्थापन के स्तर से नीचे पहुंच गई है। 2040 तक यह दर तेजी से कम होगी और 2100 तक 1.29 प्रतिशत हो जाएगी। 
अध्ययन में भविष्य में होने वाले प्रवास का भी अनुमान लगाया गया है और यह काफी चिंताजनक है। अनुमान के मुताबिक, 2100 में 195 में से 118 देशों में प्रवास की दर 1000 लोगों में 1 के बीच होगी। इसके अलावा 44 देशों में प्रति 1000 की आबादी पर यह दर इससे दोगुनी होगी। तीन देशों- अमेरिका, भारत और चीन में अप्रवासियों की संख्या सबसे अधिक होगी। दूसरी तरफ सोमालिया, फिलिपींस और अफगानिस्तान से सबसे अधिक लोग देश छोड़ेंगे।  
इसके अतिरिक्त लांसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि 2064 में दुनिया की आबादी 9.73 बिलियन हो जाएगी। यह आबादी का चरम होगा। इसके बाद अगले 36 सालों में यानी सदी के अंत तक यह आबादी घटकर 8.79 बिलियन रह जाएगी। 

अध्ययन के शोधकर्ता क्रिस्टोमर मरे ब्रिटिश मीडिया को बताया कि बड़ी बात यह है कि दुनिया के अधिकांश देश जनसंख्या में प्राकृतिक कमी के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं। अनुमान के मुताबिक, वैश्विक प्रजनन दर (टीएफआर) 2017 में 2.4 के मुकाबले 2100 में 1.7 प्रतिशत रह जाएगी।
इसी के साथ जनसांख्यकीय में भी तेजी से बदलाव होगा। वर्तमान में कहा जाता है कि धरती पर इस समय किसी भी समय से अधिक युवा आबादी है। लेकिन अध्ययन की मानें तो 2100 में स्थिति उलट होगी। सदी के अंत तक 2.37 बिलियन लोग 65 साल से अधिक उम्र के होंगे जबकि 20 साल से कम उम्र के युवाओं की आबादी 1.70 बिलियन होगी। इस अवधि में 80 साल से अधिक उम्र के लोगों की आबादी 866 मिलियन हो जाएगी। 2017 में यह आबादी 141 मिलियन थी।
अध्ययन में कहा गया है कि जैसे-जैसे बुजुर्गों की आबादी बढ़ेगी, वैसे-वैसे बच्चों की आबादी घटती जाएगी। 2017 से 2100 के बीच पांच साल से कम उम्र के बच्चों की आबादी 41 प्रतिशत कम हो जाएगी।
हालांकि सब सहारा अफ्रीका, उत्तर अफ्रीका और मध्य पूर्व क्षेत्रों में सदी के बाद भी आबादी बढ़ती जाएगी। मध्य यूरोप, पूर्वी यूरोप, और मध्य एशिया के क्षेत्रों में आबादी 1992 में ही उच्चतम स्तर पर जा चुकी है। यहां की आबादी में पूरी शताब्दी गिरावट जारी रहेगी। अध्ययन के मुताबिक, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया, ओसेनिया, मध्य यूरोप, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में आबादी में गिरावट की दर सबसे गंभीर होगी।
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