केंद्र सरकार ने बुधवार को शिक्षा के क्षेत्र में दो बड़े फैसले लिए हैं। पहला - केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) किया है। दूसरा - नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) को स्वीकृति दे दी है।
अभी तक हमारे देश में स्कूली पाठ्यक्रम 10+2 के हिसाब से चलता है लेकिन अब ये 5+ 3+ 3+ 4 के हिसाब से होगा। इसका मतलब है कि प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पाँचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौवीं से 12 तक आखिरी हिस्सा होगा।
फ़ाउंडेशन
पहले तीन साल बच्चे आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे। फिर अगले दो साल कक्षा एक एवं दो में बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे। इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा। मोटे तौर पर एक्टिविटी आधारित शिक्षण पर ध्यान रहेगा। इसमें तीन से आठ साल तक की आयु के बच्चे कवर होंगे। इस प्रकार पढ़ाई के पहले पांच साल का चरण पूरा होगा।
प्रीप्रेटरी स्टेज
इस चरण में कक्षा तीन से पांच तक की पढ़ाई होगी। इस दौरान प्रयोगों के जरिए बच्चों को विज्ञान, गणित, कला आदि की पढ़ाई कराई जाएगी। आठ से 11 साल तक की उम्र के बच्चों को इसमें कवर किया जाएगा।
कॉलेज स्तर पर क्या बदला
कॉलेजों में एडमिशन के लिए SAT की तरह एंट्रेंस टेस्ट लिए जाएंगे। ये परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) कराएगी। देश के विभिन्न कॉलेजों में एडमिशन के लिए एनटीए द्वारा एक कॉमन कॉमलेज एंट्रेंस एग्जाम साल में दो बार लिए जाएंगे।
बैचलर डिग्री चार साल की की जाएगी। हालांकि 3 साल का भी विकल्प रहेगा। जो स्टूडेंट्स बीच में कोर्स छोड़ेंगे, उन्हें भी क्रेडिट ट्रांसफर और एक ब्रेक के बाद अपनी डिग्री पूरी करने का मौका मिलेगा।
12वीं के बाद कॉलेज स्तर पर चार विकल्प होंगे। चार साल के बैचलर कोर्स में पहला साल पूरा करने पर सर्टिफिकेट, दो साल पर एडवांस डिप्लोमा, तीन साल पर बैचलर डिग्री और चार साल पर रिसर्च के साथ बैचलर डिग्री कोर्स पूरा कर सकते हैं। यानी मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का विकल्प मिलेगा।