स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन, 2020 रिपोर्ट
हाल ही में ‘यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड’ (The United Nations Population Fund- UNFPA) द्वारा विश्व स्तर पर महिलाओं की घटती संख्या के संदर्भ में ‘स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन , 2020 (State of the World Population 2020) रिपोर्ट जारी की गई है।
इस रिपोर्ट के अनुसार चीन के बाद भारत में महिलाओं के लापता होने का सबसे ज्यादा संख्या है। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत में पिछले 50 सालों के दौरान 4.58 करोड़ (45.8 मिलियन) महिलाएं लापता हुई हैं, जबकि दुनियाभर में लापता होने वाली महिलाओं की संख्या 14.26 करोड़ (142.6 मिलियन) है।
पाँच वर्ष की अवधि (वर्ष 2013-17) के औसत के अनुसार, हर वर्ष वैश्विक स्तर पर जन्म के समय 1.2 मिलियन महिलाओं की मृत्यु हुई है, वहीं भारत में हर वर्ष जन्म के समय लगभग 4,60,000 लड़कियों की मृत्यु हुई है।
लैंगिक आधारित भेदभाव के कारण अर्थात जन्म से पूर्व लिंग चयन के कारण विश्व में हर वर्ष लगभग 12-15 लाख लड़कियों की मृत्यु हो जाती है जिनमें से 90%- 95% भारत और चीन में होती हैं।
इस रिपोर्ट में वर्ष 2014 के एक अध्ययन को आधार बनाते हुए बताया गया कि भारत में प्रति 1,000 महिला पर 13.5 प्रति महिला की मृत्यु प्रसव पूर्व लिंग चयन के कारण हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 5 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों में मृत्यु दर का अनुपात 9 लड़कियों पर 1 है जो सर्वाधिक है।
लैंगिक आधारित भेदभाव के कारण अर्थात जन्म से पूर्व लिंग चयन के कारण विश्व में हर वर्ष लगभग 12-15 लाख लड़कियों की मृत्यु हो जाती है जिनमें से 90%- 95% भारत और चीन में होती हैं।
इस रिपोर्ट में वर्ष 2014 के एक अध्ययन को आधार बनाते हुए बताया गया कि भारत में प्रति 1,000 महिला पर 13.5 प्रति महिला की मृत्यु प्रसव पूर्व लिंग चयन के कारण हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 5 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों में मृत्यु दर का अनुपात 9 लड़कियों पर 1 है जो सर्वाधिक है।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund) संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था है। इसका कार्य महिला, पुरुष और बच्चे के अधिकार, स्वास्थ्य और समान अवसर के आनन्दमय जीवन को बढ़ावा देना है।
यूएनएफपीए की नीति और कार्य भारत में चार प्रमुख रास्तों पर केन्द्रित हैं : किशोरों और युवाओं विशेषकर लाचार और हाशिए पर जीते लोगों में निवेश करना; परिवार नियोजन को ध्यान में रखते हुए समन्वित यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सूचना एवं स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और उपयोग का विस्तार करना; लैंगिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त शिशु सैक्स चयन की प्रथा को समाप्त करना और लैंगिक समानता तथा बराबरी को प्रोत्साहन; जनसंख्या में वृद्धों की संख्या बढ़ने के उभरते मुद्दों के समाधान के लिए प्रमाण आधरित हिमायत सहित जनसंख्या की गुत्थियों को सुलझाने के लिए डाटा का उपयोग करना। यूएनएफपीए, सरकारों, प्रबुद्ध समाज, निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत और अनुसंधान संस्थाओं, चिकित्सा समुदाय, मीडिया, न्यायपालिका और सबसे महत्वपूर्ण रूप से स्वयं समुदायों जैसे विविध हितधारकों के साथ व्यापक रूप से सहयोग करता है।
स्रोत विकिपीडिया ,यूनाइटेड नेशंस
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