Skip to main content

PM स्वनिधि योजना

PM स्वनिधि योजना

street vendors


सोमवार को कैबिनेट की मीटिंग के बाद सरकार ने पीएम स्वानिधि योजना शुरू करने का एलान किया है. इस योजना का लाभ रेहड़ी पटरी वालों और छोटी मोटी दुकान लगाकर आजीविका चलाने वालों को मिलेगा. इस योजना के तहत सरकार इन लोगों को अपना कारोबार शुरू करने के लिए मदद करेगी. इससे रेहड़ी-पटरी वाले बिना किसी देरी के अपना काम-धंधा फिर से शुरू कर सकेंगे. सरकार ने इसे पीएम स्वनिधि (PM SVANidhi) या पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि का नाम दिया है. इस विशेष क्रेडिट स्कीम के तहत 24 मार्च, 2020 तक या उससे पहले वेंडिंग करने वाले 50 लाख स्ट्रीट वेंडर्स कर्ज ले सकते हैं.

किसे मिलेगा इस योजना का लाभ

सड़क किनारे ठेले या रेहड़ी-पटरी पर दुकान चलाने वालों को यह कर्ज दिया जाएगा. फल-सब्जी, लॉन्ड्री, सैलून और पान की दुकानें भी इस श्रेणी में शामिल की गई हैं. इन्‍हें चलाने वाले भी यह लोन ले सकते हैं. 

कितना मिलेगा कर्ज

इस स्कीम के तहत हर स्ट्रीट वेंडर 10,000 रुपये तक लोन ले सकता है. इस राशि को रेहड़ी-पटरी वाले 1 साल के भीतर किस्त में लौटा सकते हैं. यह बेहद आसान शर्तों के साथ दिया जाएगा. इसमें किसी गारंटी की जरूरत नहीं होगी. इस तरह यह एक तरह का अनसिक्‍योर्ड लोन होगा. इस लोन को समय पर चुकाने वाले स्ट्रीट वेंडर्स को 7 फीसद का वार्षिक ब्याज सब्सिडी के तौर पर उनके अकाउंट में सरकार की ओर से ट्रांसफर किया जाएगा. इस स्कीम के तहत जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है.

स्कीम के लिए 5000 करोड़

सरकार ने स्‍ट्रीट वेंडर्स के लिए शुरू की गई इस योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है. इसके लिए कोई कड़ी शर्त नहीं होगी. यह आसान शर्तों के साथ मिल जाएगा.माना जा रहा है कि इस योजना से 50 लाख को फायदा होगा.
source - financial express

Comments

Popular posts from this blog

दंडकारण्य का पठार

दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के सैगोन वृक्ष पाए जाते है.कुरसेल घाटी(नारायणपुर ) मे

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर चर्चा करेंगे :-  1. पंथी नृत्य 2. चंदैनी न

INDIAN PHILOSOPHY IN HINDI

भारतीय दर्शन  (INDIAN PHILOSOPHY)  भा रतीय दर्शन(INDIAN PHILOSOPHY)  दुनिया के अत्यंत प्राचीन दर्शनो में से एक है.इस दर्शन की उत्त्पति के पीछे उस स्तर को प्राप्त करने की आस है  जिस स्तर पर व्यक्ति दुखो से मुक्त होकर अनंत आंनद की प्राप्ति करता है.इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जीवन से दुखो को समाप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करना है. इस लेख में निम्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे - भारतीय दर्शन की उत्पत्ति  भारतीय दर्शन की विशेषताएं  भारतीय दर्शन के प्रकार  भारतीय दर्शन क्या निराशावादी है? निष्कर्ष  भारतीय दर्शन की उत्पत्ति (ORIGIN OF INDIAN PHILOSOPHY) भारतीय दर्शन  की उत्पत्ति वेदो से हुई है.इन वेदो की संख्या 4 है.ऋग्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद तथा अथर्ववेद। वेद को ईश्वर की वाणी कहा जाता है। इसलिए वेद को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शन ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है अर्थात वेदो की बातो को ही इन दर्शनों के द्वारा सत्य माना जाता है.प्रत्येक वेद के तीन अंग है मंत्र ,ब्राम्हण तथा उपनिषद। संहिंता मंत्रो के संकलन को कहा जाता है। ब्राम्हण में कमर्काण्ड की समीक्षा की गयी है.उपनिषद