डेट-ट्रैप डिप्लोमेसी' तथा चीन
पिछले कुछ दशकों से चीन दुनिया के अधिकांश देशों को मदद या अधोसंरचना विकास के लिए धन प्रदान करता रहा है ।इस तरह उसने 150 देशों को 1.5 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज प्रदान किया है ।
यह जान के आप भी चौंक जाएंगे अभी तक विश्व बैंक तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा संघ ने विश्व के विभिन्न देशों को लगभग 200 अरब डॉलर ही कर्ज प्रदान किया है।इस तरह चीन ने कर्ज देने की प्रक्रिया में इन दोनों विश्व स्तरीय संस्थायों को भी पीछे छोड़ दिया है।
चीन ने सबसे अधिक कर्ज अफ्रीका महाद्वीप के देशों को दिया है।इसका सबसे बड़ा कारण इन देशों की गरीबी तथा इनके यहां पाए जाने वाले खनिज संसाधन है।2010 में अफ्रीकी देशों पर चीन का 10 अरब डॉलर का कर्ज था जो 2016 में बढ़कर 30 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।अफ्रीका महाद्वीप के देश जिबूती का कर्ज उसकी कुल जी डी पी का 80 % है।जिसमें चीन से लिया गया कर्ज 77% है।
सिर्फ अफ्रीका के देश ही चीन के कर्ज तले नहीं दबे है बल्कि श्रीलंका तथा पाकिस्तान भी चीन के कर्ज तले दब चुके है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2022 तक पाकिस्तान को चीन को 6.7 अरब डॉलर चुकाने है।
श्रीलंका ने 2007 से 2014 के बीच चीन से 1.26 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह के निर्माण में चीन का लगभग 85 % धन लगा हुआ है।
चीन के इस नीति का इन देशों पर प्रभाव
चीन अपनी इस कर्ज देने की नीति के नाम पर कालांतर में ऐसे देशों की जमीन,विकास परियोजना तथा खनिज संसाधनों पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लेता है।चीन की इस नीति को डेट ट्रैप डिप्लोमैसी के नाम से जाना जाता है।
डेट ट्रैप डिप्लोमैसी से क्या अभिप्राय है?
इस डिप्लोमैसी में कर्ज दाता देश पहले अधोसरंचना विकास के लिए धन प्रदान करता है तथा कर्ज ना चुका पाने के कारण उस देश को अप्रत्यक्ष रूप से अपने कब्जे में ले लेता है। चीन वर्तमान में इसी नीति का अनुसरण कर रहा है.
इसी नीति के तहत चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को 99 वर्ष के लिए श्रीलंका से लीज पर प्राप्त कर लिया तथा उससे लगी लगभग 15000 ऐकड़ जमीन को भी अपने कब्जे में ले लिया।
इसी तरह इस बात की पूरी संभावना है कि वह पाकिस्तान में चीन के धन से निर्मित चीन पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरिडोर को भी अपने अधिकार में ले सकता है क्योंकि इसकी कम ही संभावना दिखती है कि पाकिस्तान अपने डेट ट्रैप इकोनॉमी से बाहर निकल पाएगा।चीन की पैनी नजर बांग्लादेश के पायरा बंदरगाह पर भी है।इस बंदरगाह के निर्माण के लिए वित्तीय मदद चीन के द्वारा प्रदान किया जा रहा है।
केन्या भी पूरी तरह चीन के कर्ज जाल में फस गया है।कर्ज ना चुका पाने के कारण उसे अपना मोंबासा बंदरगाह चीन को देना पड़ रहा है तथा संभावना है कि नैरोबी स्थित इनलेंड कंटेनर डिपो को भी चीन अपने अधिकार में ले सकता है।
बेल्ट तथा रोड परियोजना
चीन की बेल्ट तथा रोड परियोजना भी विभिन्न देशों को चीन के कर्ज जाल में फसाने का एक माध्यम है। इस परियोजना का मकसद एशिया को स्थल तथा समुद्र के माध्यम से अफ्रीका एवम् यूरोप को जोड़कर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाना है।इस परियोजना की घोषणा 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कि थी।
इस परियोजना को पूरी तरह वित्तीय मदद चीन के द्वारा प्रदान की जा रही है।इस परियोजना के माध्यम से भी वह अधिकांश देशों पर अप्रत्यक्ष रूप से अधिकार कर रहा है।
आगे की राह
चीन अपनी डेट ट्रैप डिप्लोमेसी में इसलिए सफल हो सका क्योकि कही न कही वर्ल्ड बैंक तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अल्प विकसित देशो तथा विकासशील देशो को विकास के लिए कर्ज उपलब्ध नहीं करा पाया। अतः यह जरुरी है की इन संस्थाओ को और अधिक पारदर्शी बनाने के साथ तीसरे देशो का और अधिक अधिकार प्रदान किया जाये।
हाल की में भारत तथा जापान आदि देश अफ्रीका में गरीब देशो को उसकी अधोसरंचना तथा अन्य विकास की जरुरत को पूरी करने का प्रयास कर रहे है।
यूरोप तथा अमेरिका को भी गरीब तथा विकासशील देशो की मदद के लिए और अधिक आगे आना चाहिए।
सोर्स -भास्कर डॉट कॉम ,वन इंडिया हिंदी ,THE NEW INDIAN EXPRESS
https://www.डेट-ट्रैप डिप्लोमेसी' तथा चीनbhaskar.com/db-original/news/china-loan-to-pakistan-nepal-and-other-countries-world-bank-international-monetary-fund-imf-latest-details-updates-127404611.html
https://www.newindianexpress.com/opinions/2019/dec/19/chinas-debt-trap-diplomacy-2078207.html
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