पीएम केयर्स फंड
उद्देश्य:
संकट की स्थिति, चाहे प्राकृतिक हो या कोई और, में प्रभावित लोगों की पीड़ा को कम करने और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं एवं क्षमताओं को हुए भारी नुकसान में कमी/नियंत्रण करने, इत्यादि के लिए त्वरित और सामूहिक कदम उठाना जरूरी हो जाता है। अत: अवसंरचना और संस्थागत क्षमता के पुनर्निर्माण/विस्तार के साथ-साथ त्वरित आपातकालीन कदम उठाना और सामुदाय की प्रभावकारी सुदृढ़ता के लिए क्षमता निर्माण करना आवश्यक है।
प्रभावित लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए, पैसे के भुगतान हेतु अनुदान प्रदान करने या ऐसे अन्य कदम उठाने के लिए पैसे के भुगतान के लिए न्यासी बोर्ड द्वारा आवश्यक समझा जा सकता है।
किसी अन्य गतिविधि को करने के लिए, जो उपरोक्त वस्तुओं के साथ असंगत नहीं है।
ट्रस्ट का गठन:
प्रधानमंत्री, PM CARES कोष के पदेन अध्यक्ष और भारत सरकार के रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री, निधि के पदेन ट्रस्टी होते हैं।
बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के अध्यक्ष (प्रधानमंत्री) के पास 3 ट्रस्टीज को बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में नामित करने की शक्ति होगी, जो अनुसंधान, स्वास्थ्य, विज्ञान, सामाजिक कार्य, कानून, लोक प्रशासन और परोपकार के क्षेत्र में प्रतिष्ठित व्यक्ति होंगे।
ट्रस्टी नियुक्त किया गया कोई भी व्यक्ति निशुल्क रूप से कार्य करेगा।
अन्य जानकारी :
इस कोष में पूरी तरह से व्यक्तियों / संगठनों से स्वैच्छिक योगदान होता है और इसे कोई बजटीय सहायता नहीं मिलती है। निधि का उपयोग ऊपर बताए गए उद्देश्यों को पूरा करने में किया जाएगा।
पीएम-केयर्स फंड में दान दी गई रकम पर इनकम टैक्स से 100 फीसदी छूट मिलेगी। यह राहत इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80जी के तहत मिलेगी। पीएम-केयर्स फंड में दान भी कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) व्यय के रूप में गिना जाएगा।
पीएम केयर्स फंड को भी FCRA के तहत छूट मिली है और विदेशों से दान प्राप्त करने के लिए एक अलग खाता खोला गया है। इससे विदेशों में स्थित व्यक्ति और संगठन पीएम केयर्स फंड में दान दे सकते हैं। यह प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) की ही तरह है। पीएमएनआरएफ को 2011 से एक सार्वजनिक ट्रस्ट के रूप में विदेशी योगदान भी मिला है।
विवाद में क्यों ?
पीएम केयर्स फंड की गोपनीयता को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए दायर किए गए कई सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदनों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने दावा किया है पीएम केयर्स आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत ‘पब्लिक अथॉरिटी’ नहीं है, इसलिए सूचना नहीं दी जाएगी.
किसे कहते हैं पब्लिक अथॉरिटी
आरटीआई एक्ट की धारा 2(एच) में पब्लिक अथॉरिटी की परिभाषा दी गई है और ये बताया गया है कि किस तरह के संस्थान इसके दायरे में है.
धारा 2(एच) में उपधारा (ए) से लेकर (डी) तक में बताया गया है कि कोई भी अथॉरिटी या बॉडी या संस्थान जिसका गठन संविधान, संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून, राज्य विधायिका द्वारा बनाए गए कानून, सरकार द्वारा जारी किए गए किसी आदेश या अधिसूचना के तहत किया गया हो, उसे पब्लिक अथॉरिटी माना जाएगा.
इसके अलावा धारा 2(एच)(डी)(i) के मुताबिक कोई भी अथॉरिटी जिसका गठन सरकारी आदेश या अधिसूचना के जरिये किया गया हो और ये या तो सरकार के स्वामित्व में हो या इसे नियंत्रित किया जाता हो या सरकार द्वारा काफी हद तक वित्तपोषित हो, उसे पब्लिक अथॉरिटी कहा जाएगा.
धारा 2(एच)(डी)(ii) के तहत वो गैर-सरकारी संगठन जिनको सरकार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फंड देती है, उसे पब्लिक अथॉरिटी कहा जाएगा और ऐसे संस्थानों को आरटीआई एक्ट के तहत सूचना देनी होगी.
पीएमओ की ये दलील है कि पीएम केयर्स फंड इनमें से किसी भी परिभाषा के दायरे में नहीं आता है. पीएम केयर्स पब्लिक अथॉरिटी है या नहीं, केंद्रीय सूचना आयोग और दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले तथा विशेषज्ञों के साथ बातचीत के आधार पर हम इसका जवाब देने की यहां कोशिश कर रहे हैं.
जानकारों का क्या कहना है?
सरकार के सर्वोच्च पदों वाले लोग इस फंड के ट्रस्टी हैं और विभिन्न माध्यमों से सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर इस फंड का प्रचार किया जा रहा और करदाताओं के पैसे अनुदान के रूप में इसमें दिए जा रहे हैं, इसलिए ये स्पष्ट है कि सरकार और सरकार के लोग इसे नियंत्रित कर रहे हैं.
कोमोडोर लोकेश बत्रा कहते हैं, ‘यदि सरकार सीएसआर का पैसा इस फंड में ले रही है तो वो कैसे कह सकती है कि पीएम केयर्स पब्लिक अथॉरिटी नहीं है. सीएसआर का प्रावधान संसद ने किया है और संसद का फैसला आरटीआई के दायरे में होता है.
पीएम केयर्स फंड का कोई अलग से ऑफिस नहीं है. यह प्रधानमंत्री कार्यालय में स्थित है और वहीं से संचालित किया जा रहा है. यानी कि अप्रत्यक्ष रूप से यहां पब्लिक का पैसा खर्च हो रहा है. पीएम केयर्स के लिए कोई अलग से स्टाफ भी नहीं है.
इसके अलावा सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) से भी कहा गया है कि वे इसमें अनुदान दें और बहुत सारे कंपनियों ने इसमें डोनेट भी किया है. पीएसयू कोई प्राइवेट कंपनी नहीं, बल्कि इसमें करदाताओं का पैसा लगा होता है.
कितना पैसा दान के रूप में प्राप्त हुआ है ?
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ)
पाकिस्तान से विस्थापित लोगों की मदद करने के लिए जनवरी, 1948 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अपील पर जनता से दान प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की स्थापना की गई थी. इसका संचालन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है.
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (पीएमएनआरएफ) की वर्तमान स्थिति
जस्टिस भट्ट ने अपने फैसले में माना कि आरटीआई एक्ट की धारा 2(एच)(डी)(i) के तहत पीएमएनआरएफ एक पब्लिक अथॉरिटी है और प्राप्त हुआ अनुदान, दानकर्ताओं और लाभार्थियों के नाम तथा अन्य डिटेल सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
जज ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा फंड में दान देने की अपील करना और फंड की कमेटी में प्रधानमंत्री समेत उप प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और अन्य महत्वपूर्ण शीर्ष पदों वाले व्यक्तियों का होना ये नहीं माना जा सकता कि ये कोई व्यक्तिगत निर्णय है. उन कार्यों को सरकार की कार्रवाइयों के रूप में माना जाता है जिसका प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री करते हैं.
पीएम केयर्स की भी तस्वीर ऐसी ही है जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री और इसके सदस्य वित्त मंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री हैं. इस फंड की कमेटी में सत्ता के शीर्ष पदों वाले व्यक्तियों के शामिल होने के बावजूद पीएमओ की दलील है कि ये प्राइवेट ट्रस्ट है और इसके सदस्य संवैधानिक पदों पर होने के बावजूद निजी आधार पर फैसले लेते हैं.
जस्टिस रविंद्र भट्ट ने कहा था कि चूंकि दानकर्ताओं को टैक्स छूट देने के लिए पीएमएनआरएफ को ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर किया गया है और इसे पैन नंबर भी दिया गया है, इसलिए यह माना जाएगा कि ‘सरकार ने इसे लेकर आदेश’ जारी किया है. इस तरह यह आरटीआई एक्ट की धारा 2(एच)(डी) की परिभाषा में फिट बैठता है और यह पब्लिक अथॉरिटी है.
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