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ऑनलाइन शिक्षा : भविष्य तथा चुनौतियाँ

ऑनलाइन शिक्षा : भविष्य तथा चुनौतियाँ


कोविड 19 के कारण पूरी  दुनिया में उथल पुथल मचा हुआ है एक तरफ अब बड़ी कम्पनियाँ वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दे रही है वही अब शिक्षा के क्षेत्र में भी ऑनलाइन मोड़ का प्रयोग किया जा रहा है। शिक्षा को इस मोड़ के द्वारा प्रदान किये जाने के कुछ लाभ है और कुछ हानियाँ है। इस लेख में इसी विषय पर  चर्चा करेंगे। 
ऑनलाइन शिक्षा क्या है ?
इस माध्यम में शिक्षा ऑनलाइन मोड के द्वारा प्रदान किया जाता है। जिसमे आप अपने किसी भी डिजिटल उपकरण यथा - स्मार्ट फ़ोन या लैपटॉप के माध्यम से कही से भी शिक्षा ग्रहण कर सकते है। 
भारत में ऑनलाइन शिक्षा का मार्केट लगातार बाद रहा है। सर्च इंजन गूगल व शोध फर्म केपीएमजी ने अपनी एक रपट में यह निष्कर्ष निकाला है. इसके अनुसार भुगतान वाले उपभोक्तओं की संख्या भी बढ़कर 2021 में 96 लाख हो जाएगी जो कि 2016 में 16 लाख थी.साल 2021 तक देश का ई-शिक्षा बाजार आठ गुना बढ़कर 1.96 अरब डालर मूल्य का होने का अनुमान है.

“ग्लोबल ई-लर्निंग मार्केट एनालिसिस एंड ट्रेंड्स – इंडस्ट्री फॉरकॉस्ट टू 2025” रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 तक वैश्विक ई-लर्निंग बाज़ार 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा, जो वर्ष 2016 में 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी कम था. भारत ऑनलाइन कॉलेज और पाठ्यक्रम के लिहाज से एशिया का सबसे तेजी से बढ़ता हुआ बाज़ार बनता जा रहा है.
 कोरसेरा" अमेरिका और दुनिया भर में अग्रणी विश्वविद्यालयों के साथ भागीदारी ऑनलाइन पाठ्यक्रम में विशेज्ञता प्रदान करता है. इसी तरह से लिंडा-डॉट-कॉम (लिंकडेन लर्निंग) वीडियो ट्यूटोरियल लाइब्रेरी है, जो विभिन्न विषयों पर 80,000 से अधिक वीडियो तक असीमित पहुंच प्रदान करता है. यूडेमी पर 800 से अधिक पाठ्यक्रम हैं, जिन पर पूर्व छात्रों की समीक्षा भी पढ़ी जा सकती है. उडासिटी (https://in.udacity.com/) तकनीकी पाठ्यक्रमों का एक सशक्त ऑनलाइन मंच है, जहां मासिक भुगतान के आधार पर पाठ्यक्रम ज्वाइन किया जा सकता है.

खान अकादमी  एक गैर-लाभकारी ऑनलाइन मंच है जो अकादमिक विषयों पर केंद्रित गणित, विज्ञान, अर्थशास्त्र, मानविकी, वीडियो और कंप्यूटर आधारित शैक्षणिक व्याख्यान की पूरी तरह से असीमित पुस्तकालय प्रदान करती है.

ऑनलाइन शिक्षा के लाभ 

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार

ऑनलाइन शिक्षा कंप्यूटर-आधारित अनुकूली परीक्षण प्रदान करती है और वैकल्पिक शिक्षा और विचारों को बढ़ावा देती है। यह छात्रों, शिक्षकों, माता-पिता, पूर्व छात्रों, कार्यकर्ताओं और संस्थानों और सांख्यिकीय प्रतिक्रिया द्वारा निरंतर सुधार के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है। ऑनलाइन शिक्षा छात्रों, शिक्षकों, और स्कूलों और विश्वविद्यालयों को मापने और रैंक करने और छात्रों के सर्वांगीण विकास को पुरस्कृत करने के लिए एक सतत ग्रेडिंग प्रणाली प्रदान करती है

सुलभता में सुधार करें

ऑनलाइन और खुले सूचना पोर्टल किसी भी समय कहीं से भी सुलभ है। यह न केवल पुस्तकों और अन्य संसाधनों (व्याख्यान, वक्ताओं के वीडियो) को लाता है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में शिक्षा फैलाने के लिए दूरस्थ शिक्षा पहलुओ को भी बढ़ावा देता है। यह विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, उन लोगों के लिए 24 × 7 स्कूली शिक्षा, जो दिन के दौरान नियमित स्कूलों में भाग नहीं ले सकते हैं।

शिक्षा की लागत कम करें

ऑनलाइन शिक्षा ऑनलाइन समाधान के माध्यम से कम लागत पर सेवाएं प्रदान करता है। यह ऑनलाइन सिस्टम के माध्यम से "खुद को सीखें" और "सामुदायिक शिक्षा" को प्रोत्साहित करता है और कम कीमत पर सामान्य आधारभूत संरचना प्रदान करके स्वयंसेवकों को बढ़ावा देता है। यह शिक्षकों, स्कूलों और परीक्षा बोर्डों के लिए पाठ्यक्रम प्रदान करने और कम लागत पर परीक्षा आयोजित करने और मूल्यांकन करने के लिए उपकरण प्रदान करता है। यह भविष्य के खर्च पर रिटर्न और मार्गदर्शन के माप की अंतर्दृष्टि भी देता है।

सामाजिक

ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली किसी भी समय, कहीं भी सगाई मॉडल बनाती है। सामाजिक और सांस्कृतिक कारण उन्हें रोक रहे हैं, तो घर से ऑनलाइन सीखना लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए दरवाजे खोलता है। यह वयस्कों के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रम और आत्म-शिक्षण सीखने को भी बढ़ावा देता है। यह सांस्कृतिक रूप से विविध भारत को एक आम सीखने के मंच पर लाने में मदद करता है, जो सभी भाषाओं में पेश किया जाता है। प्रभावी ऑनलाइन शिक्षण वातावरण छात्रों को सोचने के उच्च स्तर की ओर अग्रसर करते हैं, सक्रिय छात्र भागीदारी को बढ़ावा देते हैं, व्यक्तिगत मतभेदों को समायोजित करते हैं और शिक्षार्थियों को प्रेरित करते हैं।

प्रशिक्षकों के लिए अवसर

ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से, शिक्षकों की अधिक छात्रों से अधिक भागीदारी होगी। वे तकनीक का उपयोग कर नई शिक्षण तकनीकों के साथ प्रयोग कर सकते हैं, जो उनके ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और आमने-सामने पाठ्यक्रमों के लिए काम करेंगे। यह उन छात्रों तक पहुंचने में सक्षम बनाता है, जो अन्यथा अपने पाठ्यक्रम नहीं ले सकते हैं। ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में छात्रों की विविधता ऑनलाइन शिक्षण के सबसे पुरस्कृत पहलुओं में से एक हो सकती है। ऑनलाइन शिक्षण लचीला और सुविधाजनक है। कोई भी कहीं भी पढ़ सकता है, जहां आप इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं। अधिकांश ऑनलाइन प्रशिक्षकों का मानना ​​है कि वे कक्षा में जो कुछ करते हैं, उसके बारे में जागरूकता के कारण वे सामान्य रूप से बेहतर शिक्षक बन जाते हैं। छात्रों के साथ विभिन्न प्रकार के संचार के अवसर हैं।

छात्रों के लिए अवसर

यह उन्हें सीखने पर नियंत्रण देता है और प्रशिक्षक और अन्य छात्रों के साथ बढ़ती बातचीत प्रदान करता है। ऑनलाइन शिक्षा सुविधाजनक और लचीली है, विशेष रूप से गैर-पारंपरिक छात्रों के लिए नौकरियों, परिवारों आदि के लिए। छात्रों को कहीं भी ड्राइव नहीं करना, पार्किंग ढूंढना, प्रशिक्षकों के कार्यालयों के बाहर इंतजार करना, परिसर में परीक्षण करना आदि जाना है और यात्रा की कमी समय और पैसा बचाती है । यह उन छात्रों के लिए एक सुरक्षित वातावरण भी प्रदान करता है, जो आम तौर पर शामिल होने के लिए भाग नहीं लेते हैं।

दूरस्थ क्षेत्रो के लिए लाभदायक 

आज भी भारत में ऐसे कई स्थल है जहाँ स्कूल तो है परन्तु वहाँ पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं है। ऐसे स्थलों को आसानी से ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जा सकती है। इसी तरह आज भी कई ऐसी प्रतियोगी परीक्षाएँ है जिसकी तैयारी दिल्ली में संभव है ,परन्तु ऑनलाइन शिक्षा के द्वारा दूरस्थ या सामान्य पृष्ठ्भूमि वाले छात्र भी ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षण ले सकते है। 

हानि 

डिजिटल विभाजन 

शिक्षा जगत में इस बात पर बहस है कि ऑनलाइन रुझान क्या भविष्य में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्तरीय शिक्षा मुहैया करा पाने की संभावना देगा. क्योंकि बात सिर्फ इंटरनेट और लर्निंग की नहीं है बात उस विकराल डिजिटल विभाजन की भी है जो इस देश में अमीरों और गरीबों के बीच दिखता है.

केपीएमजी के मुताबिक भारत में इंटरनेट की पैठ 31 प्रतिशत है जिसका अर्थ है देश में 40 करोड़ से कुछ अधिक लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. 2021 तक ये संख्या 73 करोड़ से अधिक हो जाएगी. इसी तरह देश में इस समय 29 करोड़ स्मार्टफोन यूजर हैं. 2021 तक 18 करोड़ नये यूजर जुड़ जाएंगे.

इस तरह आज भी भारत बहुत संख्यक आबादी के पास स्मार्ट फ़ोन या सम्राट टीवी का आभाव है। इसके अलावा स्मार्ट फ़ोन का प्रयोग किस समय पर कौन करेगा यह भी एक समस्या है। गरीब अभिभावको के ऊपर महँगी शिक्षा का बोझ बढ़ जाएगा। 

एक अध्ययन के मुताबिक विश्वविद्यालय में पढ़ रहे छात्रों वाले ऐसे सिर्फ साढ़े 12 प्रतिशत परिवार ही हैं जिनके घरों में इंटरनेट उपलब्ध है. भारतीय सांख्यिकी आयोग में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अभिरूप मुखोपाध्याय ने राष्ट्रीय सैंपल सर्वे संगठन के आंकड़ों के आधार पर अपने एक लेख में बताया है कि विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 85 प्रतिशत शहरी छात्रों के पास इंटरनेट है, लेकिन इनमें से 41 प्रतिशत ही ऐसे हैं जिनके पास घर पर भी इंटरनेट है. उधर 55 प्रतिशत उच्च शिक्षारत ग्रामीण छात्रों में से सिर्फ 28 प्रतिशत छात्रों को ही अपने घरों में इंटरनेट की पहुंच है. राज्यवार भी अंतर देखने को मिला है. केरल में 51 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों में इंटरनेट की पहुंच है लेकिन सिर्फ 23 प्रतिशत के पास घरों में है. पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में तो सात से आठ प्रतिशत ग्रामीण परिवारों में ही इंटरनेट उपलब्ध है.

शिक्षक तथा छात्रों के मध्य संवाद हीनता की स्थिति 

ऑनलाइन क्लास की तकनीकी जरूरतों और समय निर्धारण के अलावा एक सवाल टीचर और विद्यार्थियों के बीच और सहपाठियों के पारस्परिक सामंजस्य और सामाजिक जुड़ाव का भी है. क्लासरूम में टीचर संवाद और संचार के अन्य मानवीय और भौतिक टूल भी इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन ऑनलाइन में ऐसा कर पाना संभव नहीं. सबसे एक साथ राब्ता न बनाए रख पाना वर्चुअल क्लासरूम की सबसे बड़ी कमी है. 

निजता और शालीनता को खतरे
शहरों में जूम नामक ऐप के जरिए होने वाली कक्षाओं के दौरान तकनीकी समस्याओं के अलावा निजता और शालीनता को खतरे जैसे मुद्दे भी उठे हैं. कई और असहजताएं भी देखने को मिली हैं, सोशल मीडिया नेटवर्किंग में यूं तो अज्ञात रहा जा सकता है लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई के लिए प्रामाणिक उपस्थिति, धैर्य और अनुशासन भी चाहिए. जाहिर है ये नया अनुभव विशेष प्रशिक्षण की मांग करता है.

अभिभावकों के साथ समस्या 

अभिभावको को बच्चो की पढ़ाई के दौरान अधिक समय गुजरना पड़ता है तथा अपने स्मार्ट फ़ोन को अपने बच्चो को देना पड़ता है जिसकी वजह से कई बार इनके आवश्यक काम रूक जाते है। अभिभावकों को बच्चों के ऊपर अधिक ध्यान रखना पड़ रहा है क्योंकि बच्चे अक्सर पढ़ाई के साथ साथ इस स्मार्टफोन का प्रयोग अन्य कार्यों में भी करने लगता है। इसके अलावा बच्चों में वह एकाग्रता भी उत्पन्न नहीं हो पा रहा है जो किसी विषय की समझ के लिए अत्यंत आवश्यक होता है

बच्चो के स्वास्थ्य पर प्रभाव 

डिजिटल माध्यमो के अत्यधिक प्रयोग की वजह से बच्चो के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। खासकर आँखों को लेकर कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न होती है। 

प्रयोगात्मक पढ़ाई से सम्बंधित समस्याएं 

प्रयोगात्मक पढ़ाई के लिए ऑनलाइन कक्षाएं सफल साबित नहीं हो रही हैं.ऑनलाइन कक्षा में प्रैक्टिकल नहीं करा सकते। जो विज्ञान विषय से सम्बंधित पढ़ाई में बाधा उत्पन्न कर रही है। 
पाठ्यक्रम की असमानता
देश में हर शैक्षणिक बोर्ड कॉलेज विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम अलग-अलग है यह पाठ्यक्रम की असमानता भी ऑनलाइन शिक्षा के समुचित क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न कर रही है। पाठ्यक्रम की असमानता के कारण एक जैसा शैक्षणिक वीडियो प्रोग्राम तैयार करना अत्यंत कठिन साबित हो रहा है।
निष्कर्ष 
ऑनलाइन शिक्षा भारतीय शिक्षा प्रणाली को विस्तार जरूर दे सकती है परंतु विकल्प कदापी नहीं हो सकती। फोरी तौर पर ऑनलाइन शिक्षा इस आपदा की घडी में संवाद का माध्यम बनकर जरूर उभरी है लेकिन भारत जैसे विशाल और बहु-आयामी देश में ऑनलाइन शिक्षा विस्तार का कार्य जरूर करे न कि विकल्प बनने का ख्याल मन में रखे। ऑनलाइन शिक्षा विस्तारक है न कि भारतीय शिक्षा की जरूरत। भावुक लगाव और मूल्य रोपण में ऑनलाइन शिक्षा विफल साबित हुई है और होगी।


 


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