सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग दिवस
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान
- ये देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान करते हैं. एमएसएमई सेक्टर देश में रोज़गार का सबसे बड़ा जरिया है.
- करीब 12 करोड़ लोगों की आजीविका इस क्षेत्र पर निर्भर करती है.
- भारत के कुल निर्यात में करीब 45% योगदान देते हैं.
- देश के सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान लगभग 8% का है.
- सेवा क्षेत्र से मिलने वाली GDP में 25% का योगदान देते हैं.
- बहुत सी इकाइयाँ ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्थित है जिसके कारण गावों से शहरों की ओर पलायन रुका है.
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की नयी परिभाषा
सूक्ष्म उद्योग: सूक्ष्म उद्योग के अंतर्गत रखा अब वह उद्यम आते हैं जिनमें एक करोड़ रुपये का निवेश (मशीनरी वगैरह में) और टर्नओवर 5 करोड़ तक हो. यहां निवेश से मतलब यह है कि कंपनी ने मशीनरी वगैरह में कितना निवेश किया है. यह मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों क्षेत्र के उद्यमों पर लागू होता है.- उत्पादन का छोटा पैमाना
- पुरानी तकनीकी का इस्तेमाल
- आपूर्ति श्रृंखला की अक्षमताएं, बढ़ती हुई घरेलू और वैश्विक प्रतिस्पर्धा
- कार्यरत पूंजी की कमी
- समय पर बड़ी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से व्यापार प्राप्त नहीं होना।
- अपर्याप्त कुशल कार्य शक्ति
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग से सम्बंधित योजनाएँ
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए प्रापण नीति
सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए एक सार्वजनिक प्रापण नीति मार्च, 2012 में अधिसूचित की गई थी। इस नीति में विचार किया गया है कि प्रत्येक केन्द्रीय मंत्रालय/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तीन वर्ष की अवधि में सूक्ष्म और लघु उद्यमों से कुल वार्षिक क्रय के न्यूनतम 25 प्रतिशत के उद्देश्य की प्राप्ति के साथ सूक्ष्म और लघु क्षेत्र से प्रापण के लिए वार्षिक लक्ष्य निर्धारित करेगा। इसमें से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से प्रापण के लिए 4 प्रतिशत अभिनिर्धारित किया जाएगा। यह नीति सरकारी क्रय में सूक्ष्म और लघु उद्यमों द्वारा भागीदारी बढ़ाकर विपणन पहुंच और प्रतिस्पर्धा में सुधार करके तथा सूक्ष्म और लघु उद्यमों और बड़े उद्यमों के बीच संबंधो को प्रोत्साहित करके सूक्ष्म और लघु उद्यमों के संवर्धन में सहायता करेगी।
राजीव गांधी उद्यमी मित्र योजना
स्कीम का उद्देश्य उन संभाव्य प्रथम पीढ़ी के उद्यमियों को पथ प्रदर्शन के माध्यम से नए सूक्ष्म और लघु उद्यमों को संवर्धित करना तथा स्थापित करना है जिन्होंनें पहले ही निम्नतम दो सप्ताह की अवधि का उद्यमिता विकास कार्यक्रम(इडीपी)/कौशल विकास कार्यक्रम (एसडीपी)/उद्यमिता-सह-कौशल विकास कार्यक्रम (ईएसडीपी) पूरा कर लिया है अथवा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों से व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त (वीटी) कर लिया है।
राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम
राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड (एनएसआईसी) सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम(सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्यम(सूलमउ)) मंत्रालय के अधीन आईएसऔर 9001:2008 प्रमाणित भारत सरकार का एक उद्यम है। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड देश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों से संबंधित लघु उद्योग तथा उद्योग के विकास को संवर्धित करने, सहायता देने और पालन-पोषण करने संबंधी अपने मिशन की पूर्ति के लिए कार्य करता आ रहा है।
सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्यम के लिए राष्ट्रीय बोर्ड
सरकार ने सूक्ष्म, लघु मध्यम उद्यमों के लिए पहली बार एक सांविधिक राष्ट्रीय सूक्ष्म, और मध्यम उद्यम बोर्ड की स्थापना की जिससे कि इस क्षेत्र के सशक्त विकास को गति देने के उद्देश्य से नीति बनाने वाले, बैंकरों, व्यापार संघ एवं अन्यों के साथ सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्यम(सूलमउ) के भिन्न-भिन्न उपक्षेत्रों के प्रतिनिधियों को साथ लाया जा सके। बोर्ड को हाल ही में 27 मई,2013 को पुनगर्ठित किया गया है। राष्ट्रीय बोर्ड के विचार और निर्देश अत्यधिक प्रतिस्पर्धी और स्वावलंबी बनाने के लिए इस क्षेत्र को मार्गदर्शन एवं उद्यम विकास को दिशा देते हैं।
महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगीकरण संस्थान (एमगिरी)
एक राष्ट्र स्तरीय संस्थान नामतः एमगिरी को खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास कार्यकलापों के सुदृढ़ीकरण के लिए आईआईटी दिल्ली के सहयोग से जमना लाल बजाज केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान का पुनरूद्धार करके सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम,1860 के अधीन वर्धा,महाराष्ट्र में सोसाइटी के रूप में स्थापित किया गया है|इस संस्थान के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:-
- सतत रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए ग्रामीण औद्योगीकरण बढ़ाना ताकि केवीआई क्षेत्र मुख्य धारा के साथ सहस्थापित हो।
- ग्राम स्वराज के लिए व्यवसायियों एवं विशेषज्ञों को आकर्षित करना।
- परंपरागत कारीगरों को सशक्त करना।
- पायलट अध्ययन/क्षेत्रीय जांचों के माध्यम से नया परिवर्तन लाना।
- स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर वैकल्पिक प्रौद्योगिकी हेतु अनुसंधान और विकास।
3 तरह के लोन
शिशु लोन : शिशु लोन के तहत 50,000 रुपये तक के लोन दिए जाते हैं.
किशोर लोन: किशोर लोन के तहत 50,000 से 5 लाख रुपये तक के लोन दिए जाते हैं.
तरुण लोन: तरुण लोन के तहत 5 लाख से 10 लाख रुपये तक के लोन दिए जाते हैं.
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