निसर्ग चक्रवात
पृष्ठभूमि
चक्रवात निसर्ग का महाराष्ट्र के तट पर 3 जून को दोपहर लगभग डेढ़ बजे टकराया। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में लगभग एक घंटे का समय लगेगा। मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक लैंडफाल के बाद यह आगे उत्तर पूर्व की ओर बढ़ जाएगा और लगभग छह घंटे बाद तूफान के कमजोर होने की उम्मीद है।1891 के बाद से निसर्ग पहला चक्रवात होगा जो जून में महाराष्ट्र के तट से टकराया है
उत्पत्ति का कारण
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात आम तौर पर समुद्री जल के 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म होने के कारण बनते और बढ़ते हैं। गर्मी के कारण समुद्र के ऊपर से गर्म और नम हवा बहती है, जिससे हवा के कम दबाव वाला क्षेत्र बन जाता है। आसपास के क्षेत्र से ठंडी हवा कम दबाव वाले क्षेत्र में आती जाती है। ऐसा होने से ये ठंडी हवा भी गर्म हो जाती है| यह प्रक्रिया चलती रहती है जिससे हवा घूमते हुए एक चक्रवाती तूफान का रुप ले लेती है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के मैरीलैंड विश्वविद्यालय में जलवायु वैज्ञानिक रघु मुर्तुगुडे का कहना है कि जब भी मानसून की शुरुआत होती है, तो दक्षिण पश्चिम हवाएं तेज चलने लगती हैं और वो सतह से कई किलोमीटर ऊपर तक उठ जाती हैं। जैसे-जैसे चक्रवात तट के साथ उत्तर की ओर बढ़ता है, तो इसमें वामावर्त (काउंटर क्लॉकवाइज) हवाएं दक्षिण पश्चिम हवाओं को दक्षिण की ओर धकेल देती हैं| यह प्रक्रिया चलती रहती है, जिससे चक्रवात बढ़ता जाता है।
- यह उत्तरी हिन्द महासागर में इस साल बनने वाला दूसरा चक्रवात है| अम्फान ने इससे पहले पश्चिम बंगाल के सुंदरबन इलाके में 20 मई को भारी तबाही मचाई थी| जिसका सबसे ज्यादा असर दक्षिण बंगाल और कोलकाता पर पड़ा था| पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिरोलॉजी के जलवायु वैज्ञानिक, रॉक्सी मैथ्यू कोल के अनुसार "हाल ही में जो दोनों चक्रवात - अम्फान और अब निसारगा, इन दोनों के पीछे समुद्र के बढ़ रहे तापमान का बड़ा हाथ है| जिसकी वजह से इनकी तीव्रता बढ़ गई है|" कोल के अनुसार दोनों चक्रवातों के बनने से पहले समुद्र की सतह का तापमान 30° सेल्सियस से ऊपर था| कभी-कभी तो वो 32 से 33 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया था| इस बढ़ते तापमान के चलते इन चक्रवातों को शक्ति मिल रही है जिससे वो बार-बार बन रहे हैं| उनके अनुसार कई मौसम सम्बन्धी मॉडल इस उच्च तापमान के कारण इनकी तीव्रता को पकड़ने में विफल रहते हैं, यही कारण है कि हमें इसकी सटीक भविष्यवाणी करने में मुसीबतें आ रही हैं|.
जलवायु परिवर्तन तथा चक्रवात
पिछले साल उत्तरी हिन्द महासागर में आये 8 में. से पांच चक्रवात अकेले अरब सागर में दर्ज किये गए थे| जोकि 1902 के बाद से आये सबसे ज्यादा चक्रवात हैं| यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि 2019 में अरब सागर सामान्य से कहीं अधिक गर्म था| इसके साथ ही पिछले साल महासागर में सबसे ज्यादा गर्मी रिकॉर्ड की गई थी| यह वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि का एक प्रत्यक्ष परिणाम है क्योंकि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से जो गर्मी पैदा हो रही है उसका 90 फीसदी हिस्सा दुनिया के महासागरों में चला जाता है। जिससे वो तेजी से गर्म हो रहे हैं| परिणामस्वरूप चक्रवातों की संख्या और शक्ति बढ़ रही है और वो पहले से कहीं ज्यादा विनाशकारी हो रहे हैं|.
SOURCE- DOWN TO EARTH
Comments
Post a Comment