अपने ही देश में हिंसा, संघर्ष, युद्ध, उत्पीड़न या प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ या भूकंप जैसी मुसीबतों के चलते असहाय, लाचार और निराश्रय होकर किन्ही दूसरे देशों की शरण लेने को मजबूर होना पड़ता हैं। पूरी दुनिया में लगभग 8 करोड़ महिलाएं, बच्चे और पुरूष ऐसे हैं जो अपने देश से विस्थापित हो शरणार्थियों के तौर पर दूसरे देशों में जीवन बिता रहे हैं। ‘विश्व शरणार्थी दिवस’ ऐसे ही विस्थापित लोगों के साहस, शक्ति और संकल्प को प्रतिष्ठित करने और उनकी समस्याओं को समझने, सुलझाने के लिए प्रतिवर्ष 20 जून को मनाया जाता है।
गौरतलब है कि अफ्रीकी देशों की एकता को अभिव्यक्त करने के लिये 4 दिसंबर, 2000 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें ऑर्गनाइजेशन ऑफ अफ्रीकन यूनिटी (ओएयू) ‘अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी दिवस’ को अफ्रीकी शरणार्थी दिवस के साथ 20 जून को मनाने के लिये सहमत हुआ था, उसके बाद 2001 से प्रतिवर्ष दुनिया भर में 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस मनाया जा रहा है।
इस वर्ष विश्व शरणार्थी दिवस 2020 को यह ‘‘एवरी एक्शन काउंट्स’’ ऑल लाइव्स मैटर, थीम पर मनाया जाएगा
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त के अनुसार दुनिया भर में अपना घर-बार छोड़ने के लिए मजबूर होने वालों की संख्या बढ़कर 70 मिलियन से अधिक हो चुकी है, जो कि अब तक का अधिकतम रिकॉर्ड है। हम इसका असर सीरिया से लेकर अफ़ग़ानिस्तान और दक्षिणी सूडान तक देखते हैं – आज दुनिया के कुल शरणार्थियों में से आधे से अधिक इन्हीं देशों से विस्थापित हैं। वेनेज़ुएला इस समय दुनिया के दूसरे सबसे बड़े विस्थापन संकट का सामना कर रहा है, जहां चार मिलियन लोगों को अपने घरों को और अपने देश को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है।
शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त कार्यालय (यूएनएचसीआर) जो कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के नाम से भी जाना जाता है। इस एजेंसी का कार्य सरकार या संयुक्त राष्ट्र के निवेदन पर शरणार्थियों की रक्षा और उनके स्वैच्छिक प्रत्यावर्तन, स्थानीय एकीकरण या किसी तीसरे देश में पुनर्वास में उनकी सहायता करना है इसका मुख्यालय जेनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।यूएनएचसीआर एक बार 1954 में और दोबारा 1981 में नोबेल शांति पुरस्कार जीत चुका है।
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