दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड
पूर्वी लद्दाख में चीन की घुसपैठ से पैदा विवाद के बीच भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएसडीबीओ) रोड को पूरा करने की कोशिश में है। 255 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर इस साल के अंत तक आठ पुल बनाए जाने हैं और पूरी सड़क पर कोलतार की परत बिछाने का काम पूरा होना है। इस सड़क के तैयार होने पर सुरक्षा बलों को लेह से दौलत बेग ओल्डी तक पहुंचने में छह घंटे का समय कम हो जाएगा। चीन से पैदा तनाव के बीच सरकार अब इस रणनीतिक सड़क को कम समय में पूरा कर लेना चाहती है।
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस सड़क को बनाने की योजना दो दशक से भी ज्यादा पुरानी है। लेकिन 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद इस योजना को गति मिली। सेना की उत्तरी कमान, सीमा सड़क संगठन और सेना की 81 वीं ब्रिगेड की देखरेख में इस सड़क के निर्माण का कार्य चल रहा है। यह सड़क सभी मौसमों में काम आएगी और इस पर से बर्फ हटाने की खास व्यवस्था की जा रही है। यह सड़क उस गालवान इलाके को भी छुएगी, जहां पर चीन के सैनिकों ने सीमा पार कर डेरा डाल लिया था। बाद में वहां से पीछे हट गए लेकिन उन्होंने अभी भी भारतीय जमीन खाली नहीं की है।
दौलत बेग ओल्डी भारत का सबसे उत्तरी कोना है और वहां तक एक सड़क का होना भारत के लिए वाकई अहम है. अक्साई चीन की सीमा रेखा के समानांतर चलने वाली DSDBO सड़क LAC से सिर्फ 9 किमी की दूरी पर है. इस सड़क की वजह से भारत अक्साई चीन, चिप चैप नदी और जीवन नल्ला से सटे इलाकों तक सीमाओं को मैनेज कर सकता है. इस सड़क से सेनाओं की जल्द तैनाती में भी मदद मिलेगी. इस सड़क से पहले सिर्फ एएलजी के रास्ते से ही इन इलाकों तक पहुंचा जा सकता था.
14 हज़ार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह सड़क दरबूक से भारतीय सीमा के लद्दाख में स्थित आखिरी गांव श्योक तक पहुंचती है. लद्दाख को चीन के झिनजियांग प्रांत से अलग करने वाले काराकोरम पास और श्योक के बीच दौलत बेग ओल्डी स्थित है, 16 हज़ार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह पहाड़ी मैदान भारतीय वायुसेना की सप्लाई के लिहाज़ से एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) की लोकेशन है.
गालवान वैली की सुरक्षा के लिहाज़ से DSDBO सड़क महत्वपूर्ण है और इस सड़क के कारण ही यहां भारत लगातार पैट्रोलिंग कर पा रहा है. अब तक चीन ने सीमाओं पर जो पोस्ट बनाई हैं, उनके ज़रिये वह गालवान वैली पर पूरी नज़र रख सकता है और इसलिए DSDBO पर चीन से खतरा भी है. चीन को इसी बात पर ऐतराज़ है और वो नहीं चाहता कि भारत इस तरह की सामरिक रणनीतियों पर आक्रामकता के साथ काम करे.
सिंध नदी के बेसिन में मौत की नदी कही जाने वाली श्योक नदी और उसकी शाखाएं हर मौसम में बाढ़ का कहर ढाती हैं. साथ ही यहां बर्फबारी का भी जोखिम रहता है. इसलिए दौलत बेग ओल्डी तक कंप्लीट की जा रही सड़क हर मौसम में कारगर साबित हो इसका पूरा ध्यान रखा गया है. सेना के पूर्वनिर्मित 37 पुलों को यह सड़क जोड़ती है. इसके अलावा, यहां पिछले साल अक्टूबर में 500 मीटर लंबे कर्नल चेवांग रिनचेन बेली ब्रिज की शुरूआत भी हो चुकी है, जो दुनिया का अपनी तरह के सामरिक महत्व वाला सबसे ऊंचा ऑल वेदर ब्रिज है.
दौलत बेग ओल्डी के पश्चिम में गिलगिट बाल्टिस्तान का क्षेत्र है, जहां चीन और पाकिस्तान की सीमाएं मिलती हैं. यह पूरा इलाका इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यहां यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में चीन फिलहाल चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर बना रहा है. इस पर भारत ऐतराज़ कर चुका है.
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