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चीन ने नाप दिया माउंट एवरेस्ट

चीन ने नाप दिया माउंट एवरेस्ट
MOUNT EVEREST

चीन के कुछ शोधकर्ताओं की एक टीम ने यह कारनामा किया है.शोधकर्ताओं की यह इकलौती टीम है जिसने कोरोना वायरस महामारी के दौरान दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को छुआ है.चीनी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, "इस टीम की वजह से चीन, दो देशों की सीमा पर स्थित माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को नापने में एक बार फिर सफल हुआ है."

माउंट एवरेस्ट फ़तेह करने की ये नई उपलब्धि चीन को ऐसे समय में हासिल हुई है,जब चीन 'दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर पहली बार पहुँचने की 60वीं सालगिरह' मना रहा है.
चीन के सरकारी टीवी चैनल पर इन शोधकर्ताओं की माउंट एवरेस्ट के ऊपर मार्किंग करने की फ़ुटेज भी प्रसारित की गई है जिसमें शोधकर्ता बताते हैं कि "बर्फ़ से ढकी माउंट एवरेस्ट की चोटी क़रीब 20 वर्ग मीटर की है."
पर्वतारोहण की जानकारी रखने वालों का कहना है, "यह एक अनोखा केस है जब माउंट एवरेस्ट के पीक पर पहुँचने वालों में सिर्फ़ चीन के पर्वतारोही हैं."हिमालयन डेटाबेस' के रिचर्ड सेलिसबरी कहते हैं कि "अब से पहले, वर्ष 1960 में ऐसा हुआ था, जब सिर्फ़ चीन के पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट की चोटी तक पहुँचे थे.
माउंट एवरेस्ट
1856 में ब्रिटिश इंडिया द्वारा किए गए सर्वे में एवरेस्ट की ऊँचाई 29002 फुट (8840 मीटर) बताई गई थी। इसे पीक-15 नाम भी दिया गया था। ब्रिटिश सर्वेयर एंड्रयू वॉ ने सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर इस चोटी का नाम एवरेस्ट रखने की पेशकश की थी। सदियों से तिब्बती चोमोलुंग्मा पर्वत चोटी का उपयोग करते थे.
  1. 1953 में जॉन हंट के नेतृत्व में ब्रिटिश अभियान की शुरुआत हुई। उन्होंने दो पर्वतारोहियों टॉम बर्डिलन और चार्ल्स इवान्स के दल को सबसे पहले माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए भेजा, लेकिन वे दोनों 300 फुट की ऊँचाई तक जाकर 26 मई 1953 को थके-माँदे वापस लौट आए, क्योंकि उन्हें ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगी थी।
  2. दो दिन बाद दूसरे दल को तैयार किया गया। इस दल में न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाली शेरपा तेनजिंग नोर्गे थे। वे 29 मई 1953 को सुबह 11.30 बजे चोटी पर पहुँचे। सबसे पहले हिलेरी ने शिखर पर कदम रखा। उन्होंने वहाँ फोटो खींचे और एक-दूसरे को मिठाई खिलाई।
SOURCE- BBC HINDI, HINDI WEB DUNIYA

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