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भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम भाग 1

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम भाग 1 


भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के सबसे बड़े अंतरिक्ष कार्यक्रमों में से एक है. उल्लेखनीय है कि आजादी के उपरांत अत्यंत खराब अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भी भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के के द्वारा प्रोफेसर विक्रम साराभाई एवं डॉ होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में रखी गई।
इसका प्रमुख उद्देश्य भारत के सामाजिक आर्थिक एवं तकनीकी विकास के लिए अंतरिक्ष का प्रयोग करना था।
आज भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अंतर्गत संचार उपग्रह ,दूर संवेदी उपग्रह ,उपग्रह प्रक्षेपण यान एवं नेविगेशन प्रणालियां शामिल है।

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का आरंभिक इतिहास

वर्ष 1962 में परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति का गठन किया गया इसी वर्ष केरल स्थित थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन में काम शुरू हुआ.
उल्लेखनीय है कि थुम्बा को इसलिए रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन के रूप में चुना गया क्योंकि यहां से पृथ्वी की भू-चुंबकीय भूमध्य रेखा गुजरती है।
वर्ष 1963 में थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से पहला साउंडिंग रॉकेट छोड़ा गया।

1975 में अमेरिकी संस्थान नासा के सहयोग से भारत में सैटलाइट  निर्देशात्मक टेलीविज़न  प्रोग्राम प्रारंभ किया गया था.
इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य टीवी कार्यक्रम के माध्यम से समुदाय को शिक्षित करने के साथ-साथ मनोरंजन प्रदान करना था इसके लिए कार्यक्रमों को दो भागों में बांटा गया था पहला भाग 5 से 12 साल के आयु वर्ग के स्कूल के बच्चों के लिए था तथा दूसरा भाग प्रौढ़ दर्शकों के लिए था।
इस कार्यक्रम की शुरुआत 6 राज्यों के 24 शब्दों में सीधी अभी ग्राही प्रणाली(direct receiver system) के माध्यम से किया गया था।इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय टीवी प्रसारण संगठन शिक्षा मंत्रालय इसरो यूएनडीपी यूनेस्को यूनिसेफ और आईटीयू शामिल थे।
इसी वर्ष 1975  में 19 अप्रैल को इसरो ने भारत का पहला कृत्रिम उपग्रह आर्यभट्ट प्रक्षेपित किया था यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित था।


इस उपग्रह को सोवियत संघ के इण्टर कॉसमॉस राकेट के द्वारा प्रक्षेपित किया गया। इसमें तीन पेलोड थे। इन पेलोड का सम्बन्ध एक्स रे खगोलिकी ,सौर भौतिकी तथा वायु विज्ञान के अध्ययन से था। 
वर्ष 1979 तथा 1981 में उपरोक्त रॉकेट के द्वारा प्रायोगिक सुदूर संवेदन उपग्रह भास्कर 1 तथा भास्कर 2  का प्रक्षेपण किया गया। 1981 में सी -बैंड ट्रांसपॉन्डर के साथ एक प्रायोगिक संचार उपग्रह का प्रक्षेपण एरियन रॉकेट के द्वारा किया गया था। (सी-बैंड ट्रांसपॉन्डर का सम्बन्ध टेलीविज़न प्रोग्राम के प्रसारण से है। )

भारत के पहले प्रक्षेपण यान SLV -3 के द्वारा तकनीकी वैज्ञानिक उपग्रहों की श्रृंखला  प्रक्षेपित की गयी थी जिसे रोहणी के नाम से जाना जाता है। 
SLV 3



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