जी-7 समिट तथा कोरोना
पृष्ठभूमि
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा- अब जी-7 समिट सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के पहले या उसके बाद हो सकती है
जी-7 में अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और इटली शामिल, सभी सदस्य देश बारी-बारी से सालाना समिट को होस्ट करते हैं
अमेरिका तथा जी -7
आखिरी बार अमेरिका में यह शिखर सम्मेलन 2012 में हुई थी। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने मेरीलैंड के कैंप डेविड में सरकारी इमारत में शिखर सम्मेलन कराई थी। 2004 में पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने जॉर्जिया के सी आईलैंड रिजॉर्ट में इसे आयोजित किया था। अगस्त 2019 में जी-7 शिखर सम्मेलन फ्रांस के बियारिट्ज शहर में हुई थी।
जी -7
जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं.
समूह खुद को "कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज" यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं.
शुरुआत में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी. इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर विचार किया गया था. अगले साल कनाडा इस समूह में शामिल हो गया और इस तरह यह जी-7 बन गया.
साल 1998 में इस समूह में रूस भी शामिल हो गया था और यह जी-7 से जी-8 बन गया था. लेकिन साल 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया हड़प लेने के बाद रूस को समूह से निलंबित कर दिया गया था.
प्रत्येक सदस्य देश बारी-बारी से इस समूह की अध्यक्षता करता है और दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करता है. यह प्रक्रिया एक चक्र में चलती है. ऊर्जा नीति, जलवायु परिवर्तन, एचआईवी-एड्स और वैश्विक सुरक्षा जैसे कुछ विषय हैं, जिन पर पिछले शिखर सम्मेलनों में चर्चाएं हुई थीं.
शिखर सम्मेलन के अंत में एक सूचना जारी की जाती है, जिसमें सहमति वाले बिंदुओं का जिक्र होता है. सम्मेलन में भाग लेने वाले लोगों में जी-7 देशों के राष्ट्र प्रमुख, यूरोपीय कमीशन और यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष शामिल होते हैं.
शिखर सम्मेलन में अन्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को भी भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है. हर साल शिखर सम्मेलन के ख़िलाफ़ बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन होते हैं. पर्यावरण कार्यकर्ताओं से लेकर पूंजीवाद के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले संगठन इन विरोध-प्रदर्शनों में शामिल होते हैं.
प्रदर्शनकारियों को आयोजन स्थल से दूर रखने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की जाती है.
जी-7 कितना प्रभावी?
जी-7 की आलोचना यह कह कर की जाती है कि यह कभी भी प्रभावी संगठन नहीं रहा है, हालांकि समूह कई सफलताओं का दावा करता है, जिनमें एड्स, टीबी और मलेरिया से लड़ने के लिए वैश्विक फंड की शुरुआत करना भी है. समूह का दावा है कि इसने साल 2002 के बाद से अब तक 2.7 करोड़ लोगों की जान बचाई है.
समूह यह भी दावा करता है कि 2016 के पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने के पीछे इसकी भूमिका है, हालांकि अमरीका ने इस समझौते से अलग हो जाने की बात कही है.
जी 7 की आलोचना
समूह की आलोचना इस बात के लिए भी की जाती है कि इसमें मौजूदा वैश्विक राजनीति और आर्थिक मुद्दों पर बात नहीं होती है. अफ्रीका, लैटिन अमरीका और दक्षिणी गोलार्ध का कोई भी देश इस समूह का हिस्सा नहीं है
नया क्या है?
अब राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि वे भारत, रूस, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को भी इस बैठक में शरीक होने का न्योता देंगे.
भारत को क्यों शामिल करने की बात कही गयी?
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
भारत चीन के बाद दुनिया की उभरती हुई सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
चीन को संतुलित करने में अमेरिका भारत का साथ चाहता है।
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