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आर्थिक विकास दर (GDP growth) तथा राजकोषीय घाटा के आंकड़े

आर्थिक विकास दर (GDP growth) तथा राजकोषीय घाटा  के आंकड़े 

आर्थिक विकास दर (GDP growth) के आंकड़े

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को मार्च तिमाही और वित्त वर्ष 2019-20 की आर्थिक विकास दर (GDP growth) के आंकड़े जारी किए. जनवरी-मार्च 2020 तिमाही में देश की GDP ग्रोथ रेट घटकर 3.1 फीसदी पर आ गई. वहीं, वित्त वर्ष 2019-20 में अर्थव्यवस्था की विकास दर 4.2 फीसदी दर्ज की गई. वित्त वर्ष 2020 की चारों तिमाही में ग्रोथ रेट 5 फीसदी के दायरे में रही है.

चार तिमाहियों में GDP ग्रोथ

Q1FY20: 5%
Q2FY20: 4.5%
Q3FY20: 4.7%
Q4FY20: 3.1%
GDP के कमजोर आंकड़े से साफ है कि लॉकडाउन का देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। कोर सेक्टर का आउटपुट अप्रैल 2020 में रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। इस दौरान कोर सेक्टर की आउटपुट की ग्रोथ -38.1 फीसदी रही है।
राजस्व संग्रह कम रहने से देश का राजकोषीय घाटा 2019-20 में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 4.6 प्रतिशत रहा.महालेखा नियंत्रक के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के लिये राजकोषीय घाटा 4.59 प्रतिशत जबकि राजस्व घाटा 3.27 प्रतिशत रहा.आंकड़ों के अनुसार प्रभावी राजस्व घाटा 2.36 प्रतिशत रहा.
क्या होता है जीडीपी ?
जीडीपी किसी खास अवधि के दौरान वस्तु और सेवाओं के उत्पादन की कुल कीमत है. भारत में जीडीपी की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही आधार पर होती है. ध्यान देने वाली बात ये है कि ये उत्पादन या सेवाएं देश के भीतर ही होनी चाहिए.
जीडीपी के कमजोर आंकड़ों के प्रभाव को विस्तार से बताते हुए एक्सपर्ट्स कहते हैं कि 2018-19 के प्रति व्यक्ति मासिक आय 10,534 रुपये के आधार पर, वार्षिक जीडीपी 5 पर्सेंट रहने का मतलब होगा कि प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2020 में 526 रुपये बढ़ेगी.
अगर आसान भाषा में समझें तो कुछ इस तरह से कह सकते हैं कि जीडीपी 4 फीसदी की दर से बढ़ती है तो आमदनी में वृद्धि 421 रुपये होगी. इसका मतलब है कि विकास दर में 1 फीसदी की कमी से प्रति व्यक्ति औसत मासिक आमदनी 105 रुपये कम हो जाएगी.
दूसरे शब्दों में कहें तो यदि वार्षिक जीडीपी दर 5 से गिरकर 4 फीसदी होती है तो प्रति माह आमदनी 105 रुपये कम होगी. यानी एक व्यक्ति को सालाना 1260 रुपये कम मिलेंगे.
देश में कृषि ,उद्योग और सेवा तीन प्रमुख घटक हैं जिनमें उत्पादन बढ़ने या घटने के औसत आधार पर जीडीपी दर तय होती है. ये आंकड़ा देश की आर्थिक तरक्की का संकेत देता है.  अगर जीडीपी का आंकड़ा बढ़ा है तो आर्थिक विकास दर बढ़ी है और अगर ये पिछले तिमाही के मुक़ाबले कम है तो देश की माली हालत में गिरावट का रुख़ है.
भारत में कौन जारी करता है GDP के आंकड़ें?
सरकारी संस्था CSO ये आंकड़े जारी करती है. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी सीएसओ देशभर से उत्पादन और सेवाओं के आंकड़े जुटाता है इस प्रक्रिया में कई सूचकांक शामिल होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी आईआईपी और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई हैं.
सीएसओ विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियों से समन्वय स्थापित कर आंकड़े एकत्र करता है. मसलन, थोक मूल्य सूचकांक यानी डब्ल्यूपीआई और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई की गणना के लिए विनिर्माण ,कृषि उत्पाद के आंकड़े उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय जुटाता है.
इसी तरह आईआईपी के आंकड़े वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाला विभाग जुटाता है. सीएसओ इन सभी आंकड़ों को इकट्ठा करता है फिर गणना कर जीडीपी के आंकड़े जारी करता है.
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक क्या है ?
इस सूचकांक का सम्बन्ध  भारत के विभिन्न उद्योगों से उत्पादित होने वाले वस्तुओं के वृद्धि से सम्बंधित है। इनमे से 8 कोर सेक्टर का भरांश(weight) 40 .27 % है। 8 कोर सेक्टर निम्न है -
  1. क्रूड ऑयल-8.98%
  2. कोयला- 10.33%
  3. सीमेंट- 5.37%
  4. स्टील- 17.92%
  5. बिजली -19.85%
  6. खाद- 2.63%
  7. प्राकृतिक गैस -6.88%
  8. रिफाइनरी -28.04%
इसका आधार वर्ष 2011 -12 है.औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में कुल 407 वस्तु समूह शामिल किये गए हैं,इन्हे तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। विनिर्माण क्षेत्र में 405 वस्तुएं,उत्खनन और विद्युत में एक-एक वस्तु को शामिल किया गया है। इनका भरांश क्रमशः 77.63%, 14.37% तथा 7.9% है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ)

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय देश में सांख्यिकीय क्रियाकलापों में समन्‍वय करता है और सांख्यिकीय मानक तैयार करता है। इसके प्रमुख महानिदेशक होते हैं, जिनके सहयोग के लिए पांच अपर महानिदेशक होते हैं। सीएसओ के निम्‍नलिखित प्रभाग हैं:

  1. राष्‍ट्रीय लेखा प्रभाग (एनएडी)यह प्रभाग राष्‍ट्रीय लेखे तैयार करने के लिए जिम्‍मेदार है, जिनमें सकल घरेलू उत्‍पाद, सरकारी और प्राइवेट अंतिम खपत व्‍यय, स्‍थायी पूंजी निर्माण और अन्‍य स्‍थूल-आर्थिक एकीकृत कार्य भी शामिल हैं। यह प्रभाग एक वार्षिक प्रकाशन तैसामाजिक सांख्यिकी प्रभाग (एसएसडी) : इस प्रभाग को मिलेनियम डेवलपमेंट गोल, पर्यावरण संबंधी आर्थिक लेखाकरण, आधिकारिक/ अनुप्रयुक्‍त सांख्यिकी के संबंध में अनुसंधान, कार्यशाला/ संगोष्‍ठी/ सम्‍मेलन आयोजित करने के लिए सहायता अनुदान देना, सांख्यिकी बिलों के लिए राष्‍ट्रीय/अंतर्राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार, सामाजिक-धार्मिक वर्गों पर राष्‍ट्रीय डेटा बैंक (डीएनबी) तैयार करना, स्‍थानीय स्‍तरीय विकास के लिए बुनियादी सांख्यिकी प्रायोगिक योजना बनाना, समय उपयोग सर्वेक्षण तथा नियमित और तदर्थ सांख्यिकीय प्रकाशन जारी  करता है, जिसका नाम है – 'राष्‍ट्रीय लेखा सांख्यिकी', 
  2. आर्थिक सांख्यिकी प्रभाग (ईएसडी) : यह प्रभाग आर्थिक गणना और वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण (एएसआई) करता है, अखिल भारतीय औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी), ऊर्जा सांख्यिकी तथा बुनियादी ढांचा सांख्यिकी का संकलन करता है और राष्‍ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण (एनआईसी) और राष्‍ट्रीय उत्‍पाद वर्गीकरण (एनपीसी) जैसे वर्गीकरण तैयार करता है।
  3. प्रशिक्षण प्रभाग इस प्रभाग की मुख्‍य जिम्‍मेदारी जनशक्ति को सांख्यिकी के सिद्धांतों और अनुप्रयोगों का प्रशिक्षण देना है 
  4. समन्‍वय और प्रकाशन प्रभाग (सीएपी) : यह प्रभाग सीएसओ और संबंधित मंत्रालयों तथा राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र की सरकारों के साथ सांख्यिकी मामलों, केंद्र और राज्‍य सांख्यिकीय संगठनों (सीओसीएसएसओ) की गोष्‍ठियों के आयोजन के कार्य को देखता है और प्रति वर्ष 'सांख्यिकी दिवस' मनाता है, रिजल्‍ट फ्रेमवर्क प्रलेख (आरएफडी), नागरिक/ग्राहक चार्टर तथा वार्षिक कार्य योजना, परिणाम बजट और मंत्रालय की वार्षिक योजना तैयार करता है। यह प्रभाग क्षमता विकास योजना और भारत सांख्यिकी सुदृढ़ीकरण परियोजना (आईएसएसपी) के कार्यान्‍वयन के लिए भी जिम्‍मेदार है। ये योजनाएं विश्‍व बैंक की सहायता से केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएं हैं। यह प्रभाग सांख्यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 को लागू करने और एनएससी की सिफारिशों के कार्यान्‍वयन पर अनुवर्ती कार्रवाई के समन्‍वय के लिए एक नोडल प्रभाग है। भारतीय सांख्यिकीय संस्‍थान (आईएसआई) से संबंधित प्रशासनिक कार्य भी सीएपी प्रभाग देखता है।
source - money control,cso,news 18,gktoday.



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