आरोग्य सेतु ऐप
स्रोत - भास्कर डॉट कॉम
क्या है आरोग्य सेतु एप्प ?
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए भारत में 2 अप्रैल 2020 को नीति आयोग द्वारा आरोग्य सेतु ऐप लांच किया गया था, जो यूजर्स को यह बताता है कि उसके आसपास कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति तो नहीं है। इस ऐप में कोरोना से जुड़े कई महत्वपूर्ण अपडेट दिए गए हैं और अब इस एप की मदद से ऑनलाइन माध्यम से चिकित्सक की सलाह भी ली जा सकती है। ऐप में जोड़ी गई आरोग्य सेतु मित्र नामक सुविधा का उपयोग कर टेलीमेडिसन (फोन के जरिए चिकित्सक से परामर्श) की सुविधा का लाभ लिया जा सकता है। आरोग्य सेतु एप 12 भाषाओं में उपलब्ध है।नया क्या है ?
कोरोना वायरस से सुरक्षा व संक्रमितों की ट्रेसिंग के लिए बनाए गए आरोग्य सेतु ऐप को दुनियाभर में काफी पॉपुलैरिटी मिली है। देशभर में अब तक इस ऐप को 11.5 करोड़ लोग डाउनलोड कर चुके हैं। हालांकि, बीते दिनों इस ऐप की प्राइवेसी पर काफी सवाल उठे थे। कई बड़े एथिकल हैकर्स ने भी ऐप की प्राइवेसी पर सवाल उठा चुके हैं। लोगों की मांग पर इस ऐप के सोर्स कोड को अब पब्लिक किया जा चुका है। फिलहाल आरोग्य सेतु ऐप के एंड्रॉयड वर्जन को ओपन सोर्स किया गया है। इसके बाद iOS और KaiOS वर्जन का भी सोर्स कोड जारी किया जाएगा।निजता संबंधी चिंताएँ
- विशेषज्ञों के अनुसार, कौन सा डेटा एकत्र किया जाएगा, इसे कब तक संग्रहीत किया जाएगा और इसका उपयोग किन कार्यों में किया जाएगा, इस पर केंद्र सरकार की तरफ से पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है।
- सरकार ऐसी कोई गारंटी नहीं दे रही कि हालात सुधरने के बाद इस डेटा को नष्ट कर दिया जाएगा।
- इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के जरिये एकत्रित किये जा रहे डेटा के प्रयोग में लाए जाने से निजता के अधिकार का हनन होने के साथ ही सर्वोच्च न्यायलय के आदेश का भी उल्लंघन होगा जिसमें निजता के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बताया गया है।
- जिस तरह आधार नंबर एक सर्विलांस सिस्टम बन गया है और उसे हर चीज़ से जोड़ा जा रहा है वैसे ही कोरोना वायरस से जुड़े एप्लिकेशन में लोगों का डेटा लिया जा रहा है जिसमें उनका स्वास्थ्य संबंधी डेटा और निजी जानकारियाँ भी शामिल हैं। अभी यह सुनिश्चित नहीं है कि सरकार किस प्रकार और कब तक इस डेटा का उपयोग करेगी।
- COVID-19 महामारी के बारे में सबसे ज़्यादा चिंताजनक तथ्य ये है कि सरकारें स्वयं मरीज़ों और संभावित संक्रमित लोगों की संवेदनशील जानकारी मुहैया करा रही हैं।
- विज्ञान पत्रिका ‘नेचर’ ने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया है कि अनगिनत एप और वेबसाइट बन गई हैं जो सरकारी वेबसाइट से वायरस से संक्रमित लोगों की जानकारी लेकर प्रकाशित कर रही हैं।
- निजता के विषय पर शोध करने वाले शोधकर्त्ताओं का मानना है कि हर केस की जो विशेष जानकारी प्रकाशित की जाती है, उससे वो चिंतित हैं। COVID-19 से बीमार व्यक्ति या क्वॉरन्टीन किये गए लोगों की पहचान आसानी से हो सकती है जिससे उनके निजता के अधिकार का हनन होता है।
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