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कोरोना तथा मछली उत्पादन

कोरोना तथा मछली उत्पादन


कोरोना तथा मछली उत्पादन

  1. भारत में लगभग 13 मिलियन मीट्रिक टन वार्षिक मछली उत्पादन होता है। यानी एक दिन में तकरीबन 35616 मीट्रिक टन उत्पादित होता है। लेकिन जबसे कोरोनावायरस संक्रमण भारत में पहुंचा और उसके बाद देश भर में लॉकडाउन लगा दिया गया, इससे मछली की बिक्री में तकरीबन 80 फीसदी की कमी आई है। 
  2. केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी), कोची के डायरेक्टर रविशंकर सी.एन. द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल मछली उत्पादन 2018-19 में लगभग 13.7 टन है, जिसमें से लगभग 35% का योगदान समुद्री क्षेत्र द्वारा किया जाता है। यह देखते हुए कि भारत में मशीनीकृत क्षेत्र औसतन केवल 45 दिनों के लिए संचालित होता है और कुल उत्पादन का लगभग 76% मैकेनाइज्ड क्षेत्र द्वारा योगदान दिया जाता है, मछली पकड़ने के मौसम के दौरान मासिक औसत समुद्री मछली उत्पादन लगभग 0.44 मिलियन टन आता है। सभी मैकेनाइज्ड सेक्टर और मोटराइज्ड सेक्टर में से आधे ने अपने ऑपरेशन को रोक दिया है, जिसके कारण औसत मासिक नुकसान 0.395 टन प्रति टन है। औसत थोक मूल्य 175 रुपये प्रति किलोग्राम रखने से कुल घाटा लगभग 6,913 करोड़ रुपए हो सकता है।
  3. लॉकडाउन ने देश के समुद्री मत्स्य क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाया है। जिससे लगभग 224 करोड़ रुपए का दैनिक नुकसान हो रहा है। जबकि मासिक नुकसान 6,863 करोड़ रुपए बताया गया है। जिसमें यांत्रिक सेक्टर से सबसे ज्यादा 88 फीसदी यानी 6,008 करोड़ रुपए है, जबकि गैर-यांत्रिक सेक्टर में 12 फीसदी के साथ 830 करोड़ रुपए शामिल हैं।
  4. विश्व में मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। देश की जी.डी.पी. में मत्स्य पालन क्षेत्र 0.91 फीसदी योगदान के साथ 1.60 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का प्रमुख स्रोत भी है।
स्रोत - डाउन टू अर्थ 

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