Skip to main content

भारत - चीन संबंध

 “भारत के हितों पर देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव”


प्रश्न- ‘भारत और चीन के मध्य संबंधों में समय के साथ परिवर्तन होते रहे हैं।’ वर्तमान परिदृश्य के आलोक में दोनों देशों के मध्य संबंधों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।


उत्तर - हालिया विवाद का केंद्र अक्साई चिन में स्थित गालवन घाटी (Galwan Valley) है, जिसको लेकर दोनो देशों की सेनाएँ आमने-सामने आ गईं हैं। जहाँ भारत का आरोप है कि गालवन घाटी के किनारे चीनी सेना अवैध रूप से टेंट लगाकर सैनिकों की संख्या में वृद्धि कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर चीन का आरोप है कि भारत गालवन घाटी के पास रक्षा संबंधी अवैध निर्माण कर रहा है। इस घटना से पूर्व उत्तरी सिक्किम के नाथू ला सेक्टर में भी भारतीय व चीनी सैनिकों की झड़प हुई थी।

भारत-चीन संबंधों का विकास

  1. भारत तथा चीन के सम्बन्ध अत्यंत प्राचीन है.भारत से ही बौद्ध धर्म चीन गया तथा कई चीनी यात्री भारत की यात्रा पर आए जिससे दोनों देश में एक दूसरे की संस्कृति का प्रचार प्रसार हुआ। 
  2. प्रसिद्ध रेशम मार्ग चीन से प्रारम्भ होकर भारत के रास्ते विश्व के अन्य हिस्सों में जाया करता था। 
  3. भारत की आज़ादी के बाद दोनों देशो के मध्य आपसी सम्बन्धो को बढ़ाने के लिए वर्ष 1954 में नेहरू और झोउ एनलाई (Zhou Enlai) ने “हिंदी-चीनी भाई-भाई” के नारे के साथ पंचशील सिद्धांत पर हस्ताक्षर किये।
  4. वर्ष १९५९ के तिब्बत विवाद तथा १९६२ के भारत एवं चीन के बीच झड़प के बाद दोनों के सम्बन्ध ख़राब हो गए थे ,परन्तु १९८८ में राजीव गाँधी और वर्ष २००३ में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासो के द्वारा एक बार पुनः कूटनीतिक सम्बन्धो की बहाली हुई। 
  5. वर्ष 2018 तथा वर्ष 2019  में चीन के राष्ट्रपति तथा भारतीय प्रधानमंत्री के बीच  क्रमशः वुहान एवं चेन्नई में प्रथम एवं दूसरा भारत-चीन अनौपचारिक शिखर सम्मेलन’  हुआ। 
  6. वर्ष 2020 में भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70 वीं वर्षगांठ है.

सहयोग के विभिन्न क्षेत्र 

  1. भारत तथा चीन के बीच द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक चिंताओं के विभिन्न विषयों पर विचारों के आदान-प्रदान के लिये लगभग 50 संवाद तंत्र हैं।
  2. 21 वीं सदी के प्रारंभ से अब तक भारत और चीन के बीच होने वाला व्यापार 3 बिलियन डॉलर से बढ़कर लगभग 100 बिलियन डॉलर (32 गुना) हो गया है। वर्ष 2019 में भारत तथा चीन के बीच होने वाले व्यापार की मात्रा 92.68 बिलियन डॉलर थी।
  3. भारत में चीनी कंपनियों का संचयी निवेश 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का है। 
  4. भारतीय कंपनियों ने चीन में तीन सूचना प्रौद्योगिकी कॉरिडोर स्थापित किये हैं
  5. भारत तथा चीन के बीच हैंड-इन-हैंड (Hand-in-Hand) संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभ्यास के अब तक 8 दौर आयोजित किये जा चुके हैं।
  6. दोनों देशों ने सिस्टर सिटीज़ (Sister Cities) तथा प्रांतों के 14 जोड़े स्थापित किये हैं। फ़ुज़ियान प्रांत और तमिलनाडु को सिस्टर स्टेट के रूप में जबकि चिनझोऊ (Quanzhou) एवं चेन्नई नगर को सिस्टर सिटीज़ के रूप में विकसित किया जाएगा।

विवाद के बिंदु


  1. सीमा विवाद, जैसे- पैंगोंग त्सो मोरीरी झील का विवाद-2019डोकलाम गतिरोध-2017, अरुणाचल प्रदेश में आसफिला क्षेत्र पर विवाद
  2. परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (Nuclear Suppliers Group- NSG) में भारत का प्रवेश, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता आदि पर चीन का प्रतिकूल रुख।
  3. बेल्ट एंड रोड पहल (Belt and Road Initiative) संबंधी विवाद, जैसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China Pakistan Economic Corridor- CPEC) विवाद। 
  4. सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर चीन द्वारा पाकिस्तान का बचाव एवं समर्थन।
  5. हाल ही में भारत सरकार के द्वारा विदेशी निवेशों से सम्बन्धित नियमो में बदलावो को लेकर के भी दोनों देशो के बीच विवाद है। 

आगे की राह

भारत तथा चीन दोनों  दुनिया में तेज़ी से उभरते हुए शक्तियाँ है। दोनों देश आपस में मिलकर इस कोरोना के समय दुनिया का नेतृत्व कर सकते है.दोनों देशो को जल्द से जल्द सीमा विवाद को निपटने के साथ साथ भारत को होने वाले व्यापार घाटे को भी कम करने के लिए चीन को अपने यहाँ और अधिक क्षेत्रो को भारत के लिए खोलना चाहिए एवं पाकिस्तान की आंतकवाद की नीति को समर्थन नहीं  करना चाहिए। 
स्रोत - दृष्टि आईएएस ,Bbc hindi
21 वी शताब्दी में अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध ,पुष्पेश पंत 


Bharat ki Videsh Neeti:Chunauti aur Ranneeti Bharat ki Videsh Neeti राजीव सीकरी 



Comments

  1. Great article with excellent ideas. I appreciate your post. Thank you so much and let's keep on sharing your stuff . I am also available here to provide information.

    daily Current Affairs||current affairs quiz||syllabus of upsc

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

दंडकारण्य का पठार

दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के सैगोन वृक्ष पाए जाते है.कुरसेल घाटी(नारायणपुर ) मे

INDIAN PHILOSOPHY IN HINDI

भारतीय दर्शन  (INDIAN PHILOSOPHY)  भा रतीय दर्शन(INDIAN PHILOSOPHY)  दुनिया के अत्यंत प्राचीन दर्शनो में से एक है.इस दर्शन की उत्त्पति के पीछे उस स्तर को प्राप्त करने की आस है  जिस स्तर पर व्यक्ति दुखो से मुक्त होकर अनंत आंनद की प्राप्ति करता है.इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जीवन से दुखो को समाप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करना है. इस लेख में निम्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे - भारतीय दर्शन की उत्पत्ति  भारतीय दर्शन की विशेषताएं  भारतीय दर्शन के प्रकार  भारतीय दर्शन क्या निराशावादी है? निष्कर्ष  भारतीय दर्शन की उत्पत्ति (ORIGIN OF INDIAN PHILOSOPHY) भारतीय दर्शन  की उत्पत्ति वेदो से हुई है.इन वेदो की संख्या 4 है.ऋग्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद तथा अथर्ववेद। वेद को ईश्वर की वाणी कहा जाता है। इसलिए वेद को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शन ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है अर्थात वेदो की बातो को ही इन दर्शनों के द्वारा सत्य माना जाता है.प्रत्येक वेद के तीन अंग है मंत्र ,ब्राम्हण तथा उपनिषद। संहिंता मंत्रो के संकलन को कहा जाता है। ब्राम्हण में कमर्काण्ड की समीक्षा की गयी है.उपनिषद

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर चर्चा करेंगे :-  1. पंथी नृत्य 2. चंदैनी न