प्रश्न- रिवर्स माइग्रेशन से आप क्या समझते हैं? अर्थव्यवस्था में प्रवासी श्रमिकों की भूमिका का उल्लेख करते हुए प्रवासन से उत्पन्न चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये।
उत्तर कोविद 19 से निपटने के लिए पुरे भारत में लॉक डाउन की घोषणा की गयी है जिसकी वजह से काफी समय से सारे उद्योग धंधे बंद है। आर्थिक गतिविधियों की ढप्प होने की वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बेरोजगार हो गए तथा वे अपनी गावो की ओर लौटने लगे। इस प्रक्रिया को ही रिवर्स माइग्रेशन कहा जाता है।
भारत की अर्थव्यवस्था में प्रवासी मजदूरों का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रवासी मजदूरों की वजह से भारत तथा इसके राज्यों की अर्थव्यवस्था को निम्न लाभ है -
- ये श्रमिक इसका एक तिहाई यानी जीडीपी का लगभग दो प्रतिशत घर भेजते हैं। मौज़ूदा जीडीपी के हिसाब से यह राशि 4 लाख करोड़ रुपए है।
- यह राशि मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में भेजी जाती है।
- इनके अपने राज्यों में रुपए भेजने की वजह से गरीब तथा पिछड़े राज्यों की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचता है।
- विनिर्माण वाले राज्यों को सस्ते दरो पर मजदूर प्राप्त हो जाते है जिसके इनके राज्य में निर्मित सामान निर्यात के लिए अनुकूल हो जाते है।
- वर्ष 1991 से 2011 के बीच प्रवासन में 2.4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई थी, तो वहीं वर्ष 2001 से 2011 के बीच इसकी वार्षिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही। इन आँकड़ों से पता चलता है कि प्रवासन से श्रमिकों और उद्योगों दोनों को ही लाभ प्राप्त हुआ।
- श्रम गहन उद्योगों अर्थात ज्वैलरी, टेक्सटाइल, लेदर और ऑटोपार्ट्स सेक्टर में बड़ी तादाद में श्रमिक काम करते हैं।
- पंजाब ,महाराष्ट्र ,गुजरात तथा तमिलनाडु जैसे औद्योगिक एवं निर्यताक राज्यों को लॉक डाउन के पश्चात अपने विनिर्माण क्षमता को प्राप्त करना कठिन होगा।
- निर्मित वस्तुओ की लगात बढ़ जाएगी जिसकी वजह से हमारे देश में विनिर्मित वस्तुएँ निर्यात के दृष्टिकोण से विश्व बाजार में मॅहगी हो जाएगी।
- पहले ही मंदी से गुजर रहा रियल एस्टेट सेक्टर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।
- गरीब तथा पिछड़े राज्यों में बेरोजगारी की दर बाद जाएगा परिणामतः कई सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो जाएगी।
- महिलाओं की सशक्तिकरण पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
प्रवासी मजदूर इसलिए रिवर्स माइग्रेशन को मजबूर है क्योकि उन्हें उनकी मजदूरी नहीं मिल रही ,न ही उनके पास कोई भोजन की व्यवस्था नहीं है और न ही इनके पास सामाजिक सुरक्षा के साधन उपलब्ध है। अतः भविष्य में केंद्र तथा राज्य सरकारों को इस समस्या से निपटने के लिए इनसे सम्बंधित डाटा एकत्रित करने के साथ साथ एक राष्ट्र तथा एक राशन कार्ड व्यवस्था को जल्द जल्द से लागु किये जाने की आवश्यकता है।
स्रोत - दृष्टि आईएएस ,द प्रिंट