Skip to main content

रिवर्स माइग्रेशन



प्रवासी मजदूर


प्रश्न- रिवर्स माइग्रेशन से आप क्या समझते हैं? अर्थव्यवस्था में प्रवासी श्रमिकों की भूमिका का उल्लेख  करते हुए प्रवासन से उत्पन्न चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये।

उत्तर कोविद 19 से निपटने के लिए  पुरे भारत में लॉक डाउन की घोषणा की गयी है जिसकी वजह से काफी समय से सारे उद्योग धंधे बंद है। आर्थिक गतिविधियों की ढप्प होने की वजह से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बेरोजगार हो गए तथा वे अपनी गावो की ओर लौटने लगे। इस प्रक्रिया को ही रिवर्स माइग्रेशन कहा जाता है। 
भारत की अर्थव्यवस्था में प्रवासी मजदूरों का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रवासी मजदूरों की वजह से भारत तथा इसके राज्यों की र्थव्यवस्था को निम्न लाभ है -

  • भारत में आंतरिक प्रवासन के तहत एक इलाके से दूसरे इलाके में जाने वाले श्रमिकों की आय  देश की जीडीपी की लगभग 6 प्रतिशत है।

    1. ये श्रमिक इसका एक तिहाई यानी जीडीपी का लगभग दो प्रतिशत घर भेजते हैं। मौज़ूदा जीडीपी के हिसाब से यह राशि 4 लाख करोड़ रुपए है।
    2. यह राशि मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में भेजी जाती है।
    3.  इनके अपने राज्यों में रुपए भेजने की वजह से गरीब तथा पिछड़े राज्यों की अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचता है। 
    4. विनिर्माण वाले राज्यों को सस्ते दरो पर मजदूर प्राप्त हो जाते है जिसके इनके राज्य में निर्मित सामान निर्यात के लिए अनुकूल हो जाते है। 
    5. वर्ष 1991 से 2011 के बीच प्रवासन में 2.4 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई थी, तो वहीं वर्ष 2001 से 2011 के बीच इसकी वार्षिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही। इन आँकड़ों से पता चलता है कि प्रवासन से श्रमिकों और उद्योगों दोनों को ही लाभ प्राप्त हुआ।
    6. श्रम गहन उद्योगों अर्थात ज्वैलरी, टेक्सटाइल, लेदर और ऑटोपार्ट्स सेक्टर में बड़ी तादाद में श्रमिक काम करते हैं।
    प्रवासी मजदूरों के रिवर्स माइग्रेशन का निम्न प्रभाव होगा -
    1. पंजाब ,महाराष्ट्र ,गुजरात तथा तमिलनाडु जैसे औद्योगिक एवं निर्यताक राज्यों को लॉक डाउन के पश्चात अपने विनिर्माण क्षमता को प्राप्त करना कठिन होगा। 
    2. निर्मित वस्तुओ की लगात बढ़ जाएगी जिसकी वजह से हमारे देश में विनिर्मित वस्तुएँ निर्यात के दृष्टिकोण से विश्व बाजार में मॅहगी हो जाएगी। 
    3. पहले ही मंदी से गुजर रहा रियल एस्टेट सेक्टर पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। 
    4. गरीब तथा पिछड़े राज्यों में बेरोजगारी की दर बाद जाएगा परिणामतः कई सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो जाएगी। 
    5. महिलाओं की सशक्तिकरण पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। 
    आगे की राह 
    प्रवासी मजदूर इसलिए रिवर्स माइग्रेशन को मजबूर है क्योकि उन्हें उनकी मजदूरी नहीं मिल रही ,न ही उनके पास कोई भोजन की व्यवस्था नहीं है और न ही इनके पास सामाजिक सुरक्षा के साधन उपलब्ध है। अतः भविष्य में केंद्र तथा राज्य सरकारों को इस समस्या से निपटने के लिए इनसे सम्बंधित डाटा एकत्रित करने के साथ साथ एक राष्ट्र तथा एक राशन कार्ड व्यवस्था को जल्द जल्द से लागु किये जाने की आवश्यकता है। 
    स्रोत - दृष्टि आईएएस ,द प्रिंट 

    Comments

    Popular posts from this blog

    दंडकारण्य का पठार

    दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के सैगोन वृक्ष पाए जाते है.कुरसेल घाटी(नारायणपुर ) मे

    छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

    छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर चर्चा करेंगे :-  1. पंथी नृत्य 2. चंदैनी न

    INDIAN PHILOSOPHY IN HINDI

    भारतीय दर्शन  (INDIAN PHILOSOPHY)  भा रतीय दर्शन(INDIAN PHILOSOPHY)  दुनिया के अत्यंत प्राचीन दर्शनो में से एक है.इस दर्शन की उत्त्पति के पीछे उस स्तर को प्राप्त करने की आस है  जिस स्तर पर व्यक्ति दुखो से मुक्त होकर अनंत आंनद की प्राप्ति करता है.इस दर्शन का मुख्य उद्देश्य जीवन से दुखो को समाप्त कर मोक्ष की प्राप्ति करना है. इस लेख में निम्न बिन्दुओ पर चर्चा करेंगे - भारतीय दर्शन की उत्पत्ति  भारतीय दर्शन की विशेषताएं  भारतीय दर्शन के प्रकार  भारतीय दर्शन क्या निराशावादी है? निष्कर्ष  भारतीय दर्शन की उत्पत्ति (ORIGIN OF INDIAN PHILOSOPHY) भारतीय दर्शन  की उत्पत्ति वेदो से हुई है.इन वेदो की संख्या 4 है.ऋग्वेद ,यजुर्वेद ,सामवेद तथा अथर्ववेद। वेद को ईश्वर की वाणी कहा जाता है। इसलिए वेद को परम सत्य मानकर आस्तिक दर्शन ने प्रमाण के रूप में स्वीकार किया है अर्थात वेदो की बातो को ही इन दर्शनों के द्वारा सत्य माना जाता है.प्रत्येक वेद के तीन अंग है मंत्र ,ब्राम्हण तथा उपनिषद। संहिंता मंत्रो के संकलन को कहा जाता है। ब्राम्हण में कमर्काण्ड की समीक्षा की गयी है.उपनिषद