जीएसटी
SOURCE- PEXELS
खबरों में क्यों है ?
लॉकडाउन की वजह से केंद्र सरकार को जीएसटी कलेक्शन के मोर्चे पर जबरदस्त झटका लगा है। चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में 5,934 करोड़ रुपए मिले हैं। पिछले साल में इसी महीने में मिले 46,848 करोड़ रुपए की तुलना में यह 87 प्रतिशत कम है।
जीएसटी क्या है ?
यह एक अप्रत्यक्ष कर है। इसकी शुरुवात 1 जुलाई 2017 को हुई थी। इसका लक्ष्य पुरे देश में एक ही तरह का अप्रत्यक्ष कर का प्रचलन करना है। इसके लिए भारत के संविधान में संशोधन किया गया है। (101 वा संविधान संशोधन )
इसके अंतर्गत पेट्रोलियम उत्त्पादो एवं शराब पर लगने वाले कर को छोड़कर सभी अप्रत्यक्ष करो को शामिल कर लिया गया है।
जीएसटी को तीन भागो में विभाजित किया गया है -
सीजीएसटी: जहां केंद्र सरकार द्वारा राजस्व एकत्र किया जाता है।
एसजीएसटी: राज्य में बिक्री के लिए राज्य सरकारों द्वारा राजस्व एकत्र किया जाता है।
आईजीएसटी: जहां अंतरराज्यीय बिक्री के लिए केंद्र सरकार द्वारा राजस्व एकत्र किया जाता है।
जीएसटी काउंसिल
वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के तहत जीएसटी परिषद एक मुख्य निर्णय लेने वाली संस्था है जो की जीएसटी कानून के अंतर्गत होने वाले कार्यो के संबंध में सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेती है। जीएसटी काउंसिल कुछ राज्यों के लिए विशेष दरों और प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए कर की दर, कर छूट, रूपों के नियत तारीख अथवा कर कानून और कर समय सीमा तय करती है। जीएसटी परिषद (काउंसिल) की मुख्य जिम्मेदारी पूरे भारत देश में वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक समान कर की दर सुनिश्चित करना है।
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कानून जीएसटी काउंसिल द्वारा शासित है। संशोधित भारतीय संविधान के अनुच्छेद 279 (1) के अंतर्गत कहा गया है कि अनुच्छेद 279A के शुरू होने के 60 दिनों के अंतराल में राष्ट्रपति द्वारा जीएसटी परिषद का गठन किया जाना है।
इसमें निम्नलिखित सदस्य होते हैं :
अध्यक्ष - केंद्रीय वित्त मंत्री
सदस्य(राजस्व का प्रभार ) - केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री
सदस्य - सभी राज्यों के वित्त मंत्री
वस्तु एवं सेवा कर के तहत अनुच्छेद 279A (4) निर्दिष्ट करता है कि परिषद संघ और राज्यों को जीएसटी से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर सिफारिशें प्रदान करेगी। जैसे की, माल और सेवाओं को वस्तु और सेवा कर से छूट दी जाएगी।
जीएसटी परिषद की विशेषताएं
- जीएसटी काउंसिल का कार्यालय नई दिल्ली में स्थापित है।
- जीएसटी परिषद में राजस्व सचिव को पद के अनुसार सचिव के रूप में नियुक्त किया जाता है।
- केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) को जीएसटी परिषद की सभी कार्यवाही के लिए स्थायी आमंत्रित (गैर-मतदान) अध्यक्ष के रूप में शामिल किया गया है।
- जीएसटी काउंसिल के अतिरिक्त सचिव के लिए एक पद बनाएं।
- जीएसटी परिषद सचिवालय में आयुक्त के चार पद सृजित करें (यह संयुक्त सचिव के स्तर पर है)
- जीएसटी परिषद सचिवालय में प्रतिनियुक्ति पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के अधिकारी होंगे।
- जीएसटी काउंसिल का प्रबंधन जीएसटी परिषद सचिवालय द्वारा किया जाता है। अथवा जीएसटी परिषद सचिवालय को केंद्र और राज्य सरकारों दोनों से प्रतिनियुक्ति पर लिए गए अधिकारियों द्वारा संचालित किया जाता है। परिषद के निर्माण के लिए पहली बैठक में, मंत्रिमंडल ने जीएसटी परिषद सचिवालय के आवर्ती और गैर-आवर्ती व्यय को पूरा करने के लिए पर्याप्त धनराशि प्रदान की। जिसे की जीएसटी काउंसिल सचिवालय के प्रबंधन करने की संपूर्ण लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है।
जीएसटी की प्रमुख विशेषताएं
- जीएसटी उत्पत्ति आधारित करारोपण के वर्तमान सिद्धांत के बदले गंतव्य आधारित उपभोग करारोपण के सिद्धांत पर आधारित होगा।
- वस्तुओं के आयात को अंतर्राज्यीय आपूर्ति माना जाएगा और इस पर लागू सीमाशुल्क के अलावा आईजीएसटी लगेगा।
- सेवाओं के आयात को अंतर्राज्यीय- आपूर्ति माना जाएगा और इनपर आईजीएसटी लगेगा।
- सीजीएसटी, एसजीएसटी/यूटीजीएसटी एवं आईजीएसटी को उस दर से लगाया जाएगा जिस पर केंद्र और राज्य जीएसटी परिषद (जीएसटीसी) तत्वावधान में सहमत होंगे।
- जीएसटी के पांच विशिष्ट पेट्रोलियम उत्पार्टी (कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, एटीएफ और प्राकृतिक गैस) पर उस तारीख से लगाया जाएगा जिस तारीख से लगाने के लिए जीएसटी परिषद सिफारिश करेंगी।
- तंबाकू और तंबाकू उत्पादों पर भी जीएसटी लगाया जाएगा। इसके अतिरिक्त केंद्र इस पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क लगाता रहेगा।
- निर्यात जीरो रेटेड होगा।
- लाभ प्रतिरोधी प्रावधान किए गए हैं जिससे कि वस्तुओं या सेवाओं या दोनों पर करों में जो कटौती हो उसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलना सुनिश्चित हो सके।
- भारत में एक सामान्य राष्ट्रीय बाजार पैदा होगा जिससे विदेशी निवेश को और 'मेक इन इंडिया' अभियान को बढ़ावा मिलेगा।
- निर्यात और उत्पादन क्रियाकलापों को बढ़ावा मिलेगा तथा रोजगार का और अधिक सूजन हो सकेगा। इस प्रकार जीडीपी में बढ़ोतरी होगी तथा लाभप्रद रोजगार पैदा होगा जिससे पर्याप्त आर्थिक विकास हो सकेगा।
- गरीबी के उन्मूलन में मदद मिलेगी क्योंकि इससे और अधिक रोजगार पैदा होंगे तथा और वित्तीय संसाधन विकसित किए जा सकेगे।
- करों को संतुलित किया जा सकेगा विशेषकर निर्यात को माध्यम से क्योंकि इससे हमारे उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा ले सकेंगे तथा भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
- एसजीएसटी और आईजीएसटी की एक समान दरों से अपवंचन में कमी आएगी क्योंकि इससे पड़ोसी राज्यों में मनमाना दर नहीं लागू होगा तथा राज्य के भीतर तथा राज्य-राज्य की बिक्री में भी मनमानी दरें नहीं लागू होंगी।
- करों की बहुलता में कमी आएगी।
- अनुपालन लागत में कमी आएगी।
- विभिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं जैसे कि पंजीकरण, रिटर्न, रिफंड, करभुगतान इत्यादि की प्रक्रियाएं सरल और स्वचालित हो सकेंगी।
- पूरे भारत वर्ष में इनपुट टैक्स क्रेडिट की इलैक्ट्रॉनिक मेंचिग की जा सकेगी और इस प्रकार की प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी तथा उत्तरदायी होगी।
- उपभोक्ताओं को लाभ
- यह पूरी तरह से आईटी पर आधारित टैक्स प्रणाली है जिसकी वजह से बहुत सारे दुकानदारों एवं व्यापारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.इसके अतिरिक्त इंटरनेट की स्पीड तथा अनुउपलब्धतता भी समस्याएँ उत्पन्न करती है।
- छोटे तथा मझोले उद्योगों के ऊपर टैक्स के बोझ बढ़ गया है।
- करो के अनेक स्लैब्स है जिसकी वजह से कई समस्याएं उत्पन्न होती है।
- गंतव्य आधारित टैक्स होने की वजह से उत्पादक राज्यों के लाभ में कमी आयी है.
- कम्पनियो को प्रत्येक राज्यों में पंजीकृत होना पड़ता है जिसकी वजह से कंपनियों का पेपरवर्क बढ़ जाता है।
- 15 वे वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है की जीएसटी की वजह से कई राज्यों ने म्युनिसिपल कॉर्पोरेशंस को धन का हस्तांतरण नहीं किया है।
- अभी तक पेट्रोलियम उत्त्पादो तथा शराब को इसके अंतर्गत नहीं लाया गया है।
- निर्यातकों को भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए जीएसटी के तहत निर्यातकों को उनके उन उत्पादों पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना पड़ता जिन पर आयातक देशो के द्वारा कोई टैक्स लगाया जाता है। इस दशा में निर्यातकों के इनपुट को सरकार को वापस करना होता है। परन्तु ,सरकार के द्वारा इसे समय पर वापस नहीं किया जा रहा है।
- जाली इनवॉइस की संख्या में वृद्धि हुई है.
- केंद्र के द्वारा राज्यों को देर से उनका जीएसटी से होने लाभ प्रदान किया जाता है।
स्रोत - VIKASPEDIA ,लाइव मिंट ,भास्कर डॉट कॉम
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