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भारत की वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड पहल

भारत की वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड पहल

भारत की वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड पहल


पृष्ठ्भूमि 
वैश्विक इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड बनाने के मकसद से केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने गुरुवार को वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड (ओएसओडब्ल्यूओजी) बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया है।
क्या है भारत की वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड पहल?
ग्लोबल ग्रिड की योजना का भारत की ओर से सहसंस्थापित इंटरनेशनल सोलर अलांयस (आईएसए) को भी लाभ मिलेगा। आईएसए में भारत समेत 67 देश शामिल हैं। यह क्लाइमेट चेंज पर भारत का कॉलिंग कार्ड है और इसे विदेश नीति के एक औजार के रूप में देखा जा रहा है।
योजना 
इसके योजना को दो भागो में विभाजित किया गया है -
  1. पहले भाग में सुदूर पूर्व के देश यथा - म्यांमार, वियतनाम, थाईलैंड, लाओ,कंबोडिया, आदि देश शामिल होंगे।
  2. दूसरे भाग में -सुदूर पश्चिम  मध्य पूर्व और अफ्रीका के क्षेत्र  शामिल होंगे। 
इस योजना के तीन चरण होंगे -
  1. पहले चरण में मध्य पूर्व-दक्षिण एशिया- दक्षिण पूर्व एशिया (MESASEA) के देशो को ग्रीन ग्रिड के माध्यम से जोड़ा जायेगा। 
  2. दूसरे चरण में अफ्रीका के देशो को जोड़ा जायेगा। 
  3. तीसरे चरण में शेष विश्व को जोड़ा जायेगा। 
इस कार्य में विश्व बैंक के साथ- साथ  अंतर्राष्ट्रीय सौर संघ भारत का सहयोग करेगा। ऐसा माना जा रहा है की यह भारत के द्वारा चीन प्रायोजित योजना वन बेल्ट वन रोड का जवाब है। 
अंतर्राष्ट्रीय सौर संघ
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (en: International Solar Alliance, इंटरनैशनल सोलर अलायंस) (पुराना नाम :इंटरनेशनल एजेंसी फॉर सोलर टेक्नोलॉजीज़ एंड एप्लीकेशन्स, en: International Agency for Solar Technologies & Applications),  (INSTA)  सौर ऊर्जा पर आधारित १२१[1] देशों का एक सहयोग संगठन है जिसका शुभारंभ भारत व फ्राँस द्वारा  30 नवंबर 2015 को पैरिस में किया गया। यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल का परिणाम है जिसकी घोषणा उन्होंने सर्वप्रथम लंदन के वेंबली स्टेडियम में अपने उद्बोधन के दौरान की थी। 

यह संगठन कर्क व मकर रेखा के बीच स्थित राष्ट्रों को एक मंच पर लाएगा। ऐसे राष्ट्रों में धूप की उपलब्धता बहुलता में है। इस संगठन में ये सभी देश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे। इस प्रयास को वैश्विक स्तर पर ऊर्जा परिदृश्य में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
इस संगठन का अंतरिम सचिवालय राष्ट्रीय सौर उर्जा संस्थान, ग्वालपहाड़ी, गुड़गांव में बनाया गया है। इसका उद्घाटन २५ जनवरी २०१६ को। मुख्यालय के निर्माण हेतु भारत सरकार ने राष्ट्रीय सौर उर्जा संस्थान कैंपस के अंदर पांच एकड़ जमीन आवंटित की है।
२५ जनवरी २०१६ को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति श्री फ्रांस्वा ओलांद ने संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन मुख्यालय की आधारशिला रखी।
ISA के प्रमुख उद्देश्यों में 1000 गीगावाट से अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता की वैश्विक तैनाती और 2030 तक सौर ऊर्जा में निवेश के लिये लगभग $1000 बिलियन की राशि को जुटाना शामिल है।
स्रोत - विकिपीडिया,लिव मिंट 

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