Skip to main content

छत्तीसगढ़ में 80% से अधिक कोरोना संक्रमित केस प्रवासी मजदूरों से

छत्तीसगढ़ में 80% से अधिक कोरोना संक्रमित केस प्रवासी मजदूरों से 

छत्तीसगढ़ में 80% से अधिक कोरोना संक्रमित केस प्रवासी मजदूरों से


  1. कोरोना संक्रमण से आमतौर पर सुरक्षित समझे जा रहे छत्तीसगढ़ में कोविड-19 ने ग्रामीण क्षेत्रों में पैर पसारना शुरू कर दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में पाए गए 214 कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों में 80 प्रतिशत से अधिक करीब 170 प्रवासी श्रमिक या फिर उनके संपर्क में आने वाले व्यक्ति हैं.
  2. वर्तमान में 150 एक्टिव कोविड-19 मरीजों में करीब 135 अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिक हैं जिनका इलाज रायपुर के एम्स और प्रदेश के दूसरे अस्पतालों में चल रहा है. ये सभी प्रवासी श्रमिक ग्रामीण क्षेत्रों के रहने वाले हैं.
  3.  22 मई से पहले प्रदेश में सिर्फ दो रेड जोन क्षेत्र थे- रायपुर शहरी और कोरबा. लेकिन इसके बाद कोरबा के साथ डौंडीलोहारा ब्लॉक जिला बालोद, तखतपुर और मस्तूरी ब्लॉक जिला बिलासपुर को भी रेड जोन में शामिल कर लिया गया है.
  4. पिछले 10 दिनों के दौरान कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या में 50 गुना से भी ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है. आंकड़ों के अनुसार 13 मई को राज्य में कोविड-19 के कुल 3 एक्टिव केस थे जो 24 मई तक बढ़कर 150 हो गए. वहीं कुल पॉजिटिव पाए गए केस की संख्या तीन गुना बढ़कर 59 से 214 हो गई है. इस दौरान 64 मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं.
स्रोत द प्रिंट 

Popular posts from this blog

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य

छत्तीसगढ़ी लोकनृत्य इतिहास से प्राप्त साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि मानव जीवन में नृत्य का महत्व आदिकाल से है, जो मात्र मनोरंजन  का साधन ना होकर अंतरिम उल्लास का प्रतीक है । भारत सम्पूर्ण विश्व में अपनी विशिष्ट संस्कृति हेतु विख्यात है। छत्तीसगढ़ भारत का अभिन्न अंग होने के साथ ही कलाओ का घर है जिसे विभिन्न कला प्रेमियों ने व्यापक रूप देकर इस धरा को विशिष्ट कलाओं से समृद्ध कर दिया है। इन लोक कलाओ में लोकनृत्य जनमानस के अंतरंग में उत्पन्न होने वाले उल्लास का सूचक है । जब मनुष्य को सुख की प्राप्ति होती है तो उसका अंतर्मन  उस उल्लास से तरंगित  हो उठता है ,और फिर यही उल्लास मानव के विभिन्न अंगों द्वारा संचालित होकर  नृत्य का रूप धारण करता है। किसी क्षेत्र विशेष का लोकनृत्य केवल हर्षोउल्लास  का परिचायक न होकर उस क्षेत्र के परम्परा  व संस्कृति का क्रियात्मक चित्रण होता है, जो स्व्यमेव  एक विशिष्ट परिचय समाहित किए होता  है। छत्तीसगढ़ में नृत्य की विभिन्न विधाएं है जो विभिन्न अवसरों पर किए जाते है। यहां हम निम्न नृत्य विधाओं पर च...

दंडकारण्य का पठार

दंडकारण्य का पठार दंडकारण्य का पठार  यह छत्तीसगढ़ के दक्षिण दिशा में है। यह छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक दृष्टि से सबसे अधिक समृद्ध प्रदेश है। इस क्षेत्र का क्षेत्रफ़ल 39060 वर्ग किलोमीटर है। यह छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल का 28.91 प्रतिशत है। इस पठार  का विस्तार कांकेर ,कोंडागांव ,बस्तर ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा जिला  तथा मोहला-मानपुर तहसील तक है।  इसका निर्माण धारवाड़ चट्टानों से हुआ है।  बीजापुर तथा सुकमा जिले में बस्तर के मैदान का विस्तार है। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी नंदी राज (1210 मीटर ) है जो की बैलाडीला में स्थित है।   अपवाह तंत्र  यह गोदावरी अपवाह तंत्र का हिस्सा है। इसकी सबसे प्रमुख नदी इंद्रावती नदी है। इसकी लम्बाई 286 किलोमीटर है। इसका उद्गम मुंगेर पर्वत से होता है। यह भद्राचलम के समीप गोदावरी नदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदी नारंगी ,शंखनी -डंकिनी ,मुनगाबहार ,कांगेर आदि है।  वनस्पति  यहाँ उष्णकटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन पाए जाते है। इस क्षेत्र में साल वृक्षों की बहुलता है इसलिए इसे साल वनो का द्वीप कहा जाता है। यहाँ उच्च स्तर के स...

छत्तीसगढ़ की भू-गर्भिक संरचना

  छत्तीसगढ़ की भू-गर्भिक संरचना   किसी भी राज्य मे पाए जाने वाले मिट्टी,खनिज,प्रचलित कृषि की प्रकृति को समझने के लिए यह आवश्यक है की उस राज्य की भौगोलिक संरचना को समझा जाए ।  छत्तीसगढ़ का निर्माण निम्न प्रकार के शैलों से हुआ है - आर्कियन शैल समूह  धारवाड़ शैल समूह  कड़प्पा शैल समूह  गोंडवाना शैल समूह  दक्कन ट्रैप शैल समूह  आर्कियन शैल समूह    पृथ्वी के ठंडा होने पर सर्वप्रथम इन चट्टानों का निर्माण हुआ। ये चट्टानें अन्य प्रकार की चट्टानों हेतु आधार का निर्माण करती हैं। नीस, ग्रेनाइट, शिस्ट, मार्बल, क्वार्टज़, डोलोमाइट, फिलाइट आदि चट्टानों के विभिन्न प्रकार हैं। यह भारत में पाया जाने वाला सबसे प्राचीन चट्टान समूह है, जो प्रायद्वीप के दो-तिहाई भाग को घेरता है। जब से पृथ्वी पर मानव का अस्तित्व है, तब से आर्कियन क्रम की चट्टानें भी पाई जाती रही हैं। इन चट्टानों का इतना अधिक रूपांतरण हो चुका है कि ये अपना वास्तविक रूप खो चुकीं हैं। इन चट्टानों के समूह बहुत बड़े क्षेत्रों में पाये जाते हैं।   छत्तीसगढ़ के 50 % भू -भाग का निर्माण...