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छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005

छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005



compilation - Mrs Purnima Verma

आधुनिकता, शिक्षा, समानता के बीच कुछ पक्ष इनसे अछूते रह जाते हैं। जो समाज मे जादू-टोना, अन्धविश्वास, व कुरीतियों के रूप में व्यापत रहते हैं। इसका एक उदाहरण किसी व्यक्ति को टोनही उच्चारित कर उसे प्रताड़ित करना और उसके मानसिक, शारीरिक, व ख्याति को नुकसान पहुंचाना है।

इस प्रकार का कृत्य संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार व गरिमापूर्ण जीवन जीने के अधिकार का हनन है।अतः इस स्थिति में सुधार हेतु व अंधविश्वास व कुरीतियों को हटाकर व्यक्ति को जीवन जीने के लिए स्वास्थ्य वातावरण व विधिक सुरक्षा प्रदान करने हेतु छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 को अधिनियमित किया गया है।

यह अधिनियम सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में दिनांक 30 सितम्बर 2005 से लागू है। इसके परिभाषा खण्ड (धारा 2) में टोनही, पहचानकर्ता, ओझा व हानि को परिभाषित किया गया है। जिसके अनुसार-


टोनही- इस अधिनियम के अनुसार, किसी व्यक्ति की पहचान इस प्रकार की जाये की वह किसी अन्य व्यक्ति अथवा समाज, पशु, अथवा जीवित वस्तुओं को काला जादू, बुरी नजर या अन्य रीति से नुकसान पहुँचाता हो चाहे वह डायन, टोनही अथवा किसी अन्य नाम से जाना जाता हो।


पहचानकर्ता-  इस अधिनियम के अनुसार, कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को टोनही के रूप मे पहचान करता है, या अन्य व्यक्ति को पहचान करने के लिए प्रेरित करता हो,या अपने शब्द, कार्य, भाव-भंगिमा, व्यवहार से पहचान करने मे मदद करता हो, या जानबूझकर ऐसा कार्य करता हो, जिससे ऐसी पहचान के आधार पर उस व्यक्ति को क्षति पहुँचता हो।


ओझा- ऐसा व्यक्ति जो यह दावा करता है कि उसमें झाड़फूंक, टोटका, तंत्र मंत्र या अन्य द्वारा टोनही या टोनही द्वारा प्रभावित व्यक्ति, पशु या जीवित वस्तुओं को नियंत्रित, उपचारित, शक्तिहीन करने की क्षमता है।


हानि- इसमें शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक नुकसान तथा प्रतिष्ठा को नुकसान शामिल हैं।


इस अधिनियम की धारा 4 से धारा 8 तक दंड का प्रावधान किया गया है। जिसके अनुसार, 

धारा 4, के अंतर्गत यदि व्यक्ति किसी भी माध्यम से टोनही के रूप मे पहचान करता है, तो वह तीन वर्ष का कठिन कारावास तथा जुर्माने से दंडित किया जाएगा।

धारा 5, कोई व्यक्ति किसी को टोनही के रूप मे पहचान कर उसे शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान पहुँचता है, तो उसे पांच वर्ष का कठिन कारावास तथा जुर्माने से दंडित किया जाएगा।

धारा 6, ऐसे व्यक्ति पर ओझा के रूप मे झाड़फूंक, टोटका, तन्त्र-मंत्र का उपयोग करता है, उसे पांच वर्ष का कठोर कारावास तथा जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।

धारा 7, किसी व्यक्ति पर काला जादू, बुरी नजर या किसी अन्य रीति से पशु अथवा जीवित वस्तुओं को क्षति पहुंचाने का दावा करता है या ऐसा प्रचार करता है, उसे एक वर्ष तक का कठोर कारावास या जुर्माने से दंडित किया जाएगा।

धारा 8, इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करने का प्रयास करेगा उसे उस अपराध के लिए उपबंधित दंड से दंडित किया जाएगा।

 प्रक्रिया के अनुसार, इस अधिनियम  में किए गए सभी अपराध संज्ञेय और अजमानती होंगे तथा इसके अंतर्गत समस्त अपराध का विचारण प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में किया जाएगा। उक्त प्रावधानों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है, कि किसी व्यक्ति विशेष को टोनही कह कर अपमानित करना उसके गरिमामय जीवन पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।अतः इस अधिनियम के माध्यम से समाज में व्यक्ति की स्थिति को मजबूत आधार प्रदान किया गया है।


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