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भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तथा राज्य सभा में मनोनयन

हाल ही में राज्य सभा में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री रंजन गोगोई का मनोनयन राष्ट्रपति के द्वारा राज्यसभा में किया गया है। यह देश के संसदीय इतिहास में पहला ऐसा मौका है की निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रपति के द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है
इस मनोनयन को लेकर राज्यसभा तथा उसके निर्वाचन की प्रक्रिया फिर से खबरों में है।

उल्लेखनीय है कि भारत में संसदीय प्रणाली को अपनाया गया है इसके तहत संसद में दो सदनों की व्यवस्था की गई है क्रमशः लोकसभा तथा राज्यसभा।
राज्यसभा संसद का उच्च सदन है तथा यह कभी भंग नहीं होता है।इसमें अधिकतम 250 सदस्य हो सकते है।238 सदस्यों का निर्वाचन होता है तथा इनमें से 12 सदस्यों का मनोनयन राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है। मनोनीत सदस्य समाज सेवा,कला, साहित्य तथा विज्ञान से होते है।
वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। इन सदस्यों में से 233 सदस्यों का निर्वाचन  आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के द्वारा होता है। मतदान की इस प्रणाली को हेयर योजना कहते हैं इसके जन्मदाता श्री टॉमस हेयर थे जिन्होंने 1859 में इसे प्रस्तुत किया था।
1859 में इसे प्रस्तुत किया था।
राज्यसभा एक स्थाई सदस्य हैं परंतु प्रत्येक 2 वर्षों में इसके एक तिहाई सदस्य का कार्यकाल समाप्त हो जाता है सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।(अनुच्छेद 83 (1))
ज्ञातव्य है कि यदि किसी सदस्य का स्थान उसके त्यागपत्र या मृत्यु के कारण रिक्त हो जाता है तो रिक्ति को भरने के लिए उपचुनाव कराया जाता है और इस प्रकार उपचुनाव द्वारा चुना गया व्यक्ति इतने समय तक राज्यसभा के सदस्य रहता है जितना समय रिक्त हुए स्थान का शेष बचा है।
निर्वाचित होने के लिए प्रत्याशी का उस राज्य में मामूली तौर से निवास होना चाहिए, परंतु इस अहर्ता(qualification) को 2003 में हटा दिया गया। 2003 में ही राज्यसभा के निर्वाचन के लिए गुप्त मतदान के स्थान पर खुले मतदान को अपनाया गया।
भारत में राज्यसभा की सीटों का निर्धारण जनसंख्या के आधार पर किया जाता है जिसकी वजह से अधिक जनसंख्या वाले राज्यों का प्रतिनिधित्व इसमें बढ़ जाता है।
राज्यसभा की सदस्यता प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक हो तथा वह 30 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
राज्यसभा का सभापति भारत का उप राष्ट्रपति होता है जिसका चुनाव लोकसभा तथा राज्यसभा के सदस्यों के द्वारा किया जाता है.

राज्यसभा की शक्तियां

उल्लेखनीय है कि भारतीय संसदीय प्रणाली में तीन प्रकार के विधियेक पाए जाते हैं-1. साधारण विधेयक,2.धन विधेयक तथा संविधान संशोधन विधेयक।
इनमें से साधारण विधेयक तथा संविधान संशोधन विधेयक में राज्यसभा को लोकसभा के बराबर ही शक्तियां प्राप्त हैं, परंतु धन विधेयक में लोकसभा को प्राथमिकता प्रदान की गई है। राज्यसभा धन विधेयक को केवल 14 दिन तक ही अपने पास रख सकता है तथा राज्यसभा से पारित ना होने पर भी उसे पारित मान लिया जाता है।धन विधेयक का संबंध वित्तीय मामलों से होता है।(अनुच्छेद 110 (1))।

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